लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को झटके लगने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब लगता है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के तौर पर कांग्रेस को एक बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि रोहतक में हुई महापरिवर्तन रैली में हुड्डा के बागी तेवर कुछ ऐसे ही नज़र आए, जहां अपने समर्थकों के बीच हुड्डा उसी पार्टी को कोसते दिखे जिसने उन्हें सत्ता के शीर्ष पर बिठाया था। लेकिन आज उन्हीं भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस नीतियों से भटकी नजर आ रही है। खासकर धारा 370 को लेकर कांग्रेस के पक्ष से हुड्डा इत्तेफाक नहीं रखते, लेकिन ये विरोध ही पार्टी से अलगाव की वजह हो, ये हजम होने जैसा नहीं है।
आज हुड्डा कहते हैं कि देशहित उनके लिए सबसे ऊपर है तो क्या अब तक उनके लिए देश सबसे ऊपर नहीं था। हुड्डा कहते हैं कि उनके परिवार की चार पीढि़यां कांग्रेस से जुड़ी रही हैं और पार्टी के लिए खूब मेहनत भी की, लेकिन अब कांग्रेस पहले वाली नहीं रही। ये अब बदल गई है, लेकिन यहां ये सवाल बेहद अहम हो जाता है कि हुड्डा की इस शिकायत की असल वजह क्या है और वाकई में बदला कौन है, खुद हुड्डा या कांग्रेस ?
कांग्रेस से राहें अलग करने की वजहों को लेकर भी हुड्डा पर कई सवाल हैं। 10 साल तक हरियाणा के सीएम रहे भूपेन्द्र सिंह कई बार विवादों में घिरे। भ्रष्टाचार के घेरे में भी आए, लेकिन हर बार पार्टी मजबूती से उनके पीछे खड़ी रही। हालांकि, ये और बात है कि हुड्डा ने कई बार पार्टी लाइन से इतर अपनी राह बनाने की कोशिश की और उनकी इस बगावत ने पार्टी को भी मुश्किल में डाला, फिर चाहे इन दिनों चल रही प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक तंवर से उनकी खींचतान हो या फिर दो साल पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान उनके समर्थक विधायकों की वो क्रॉस वोटिंग, जिससे विपक्षी दल के समर्थित प्रत्याशी को फायदा पहुंचा दिया।
पार्टी पर दबाव बनाने के लिए हुड्डा ऐसे पैंतरे आजमाते रहे हैं और रोहतक की ये महापरिवर्तन रैली भी। हुड्डा के पूर्व नियोजित रणनीति का ही हिस्सा भर है, जिसके जरिए वो अपनी मांग मनवाने की कोशिश में हैं। चुनावी मौसम में अब हुड्डा साहब परिवर्तन का राग गा रहे हैं। फिर चाहे वो पार्टी बदलने के कयास हों या फिर सियासत की चाल। अब हुड्डा एक नए ही ऐलान के साथ हरियाणा के सियासी इतिहास में नया अध्याय लिखने की जुगत में हैं।
कांग्रेस से अलग राह तलाश रहे हुड्डा फिर से हरियाणा पर राज करने के सियासी गुणाभाग में भी जुट गए हैं और उन्होंने हरियाणा की बिसात पर अपना सियासी पासा भी फेंक दिया। राज्य के वोटबैंक में बड़ा दखल रखने वाली चार जातियों को डिप्टी सीएम पद देने का वादा कर हुड्डा नई सियासी लकीर खींचने में जुटे हैं। हालांकि, इस फॉर्मूले पर पहले भी कई सरकारें चल चुकी हैं।
हुड्डा कांग्रेस के खिलाफ बगावती सुर में हैं तो वहीं कांग्रेस भी हुड्डा से कुछ ज्यादा खुश नहीं है। क्योंकि हुड्डा के चलते ही हरियाणा कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पार्टी से दूर हो गए। ये वहीं हुड्डा, जिनके चलते पहले भजनलाल फिर चौधरी वीरेन्द्र सिंह कांग्रेस छोड़ गए वहीं वाड्रा जमीन विवाद में उनकी भूमिका भी गांधी परिवार के मुश्किल का सबब बन गई, लेकिन हुड्डा हैं कि मानते नहीं। बीस साल पहले 1998 में कांग्रेस के स्टार प्रचारक के तौर पर उन्होंने हरियाणा के रोहतक से एक रैली को संबोधित कर अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी और अब एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सउसी रोहतक में रैली कर पार्टी हाईकमान को चुनौती बड़ी चुनौती दे दी है।