जनतंत्र डेस्क, Afghanistan: खौफ, भुखमरी और क्रूरता ये हालात हैं तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान के। जहां हर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। तालिबानी सरकार का हुक्म ना मानने पर लोगों को सजा दी जा रही है। तालिबानी शासन लोगों को शरिया कानून के अनुसार चला रहा है जिसमें लोकतंत्र की कोई जगह नहीं है। आए दिन यहां कोई न कोई तुगलकी फरमान जारी होते हैं। अब फिर से तालिबानी सरकार ने टीवी चैनल और पत्रकारों के लिए फरमान जारी किया है।
Kabul: अफगान महिलाओं का दर्द, कहा- दुनिया चुपचाप हमें मरते हुए देख रही
अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने नया तुगलकी फरमान जारी किया है। जिसे ‘धार्मिक दिशानिर्देश’ बताते हुए कहा गया है कि, टीवी चैनलों से वो नाटक, प्रोग्राम या शो दिखाने से मना किया गया है, जिनमें महिला कलाकार होती हैं। साथ ही मंत्रालय ने महिला टीवी पत्रकारों को अपनी रिपोर्ट दिखाते हुए हिजाब पहनने के लिए कहा है। इस तुगलकी फरमान में चैनलों से उन फिल्मों या कार्यक्रमों को प्रसारित नहीं करने के लिए भी कहा है, जिनमें पैगंबर मोहम्मद या अन्य पूजनीयों को दिखाया जाता है। तालिबान ने इन्हें नियम नहीं धार्मिक दिशानिर्देश बताया है।
अफगानिस्तान टीवी इंडस्ट्री ने किया विकास
पिछले दो दशक में अफगानिस्तान ने पश्चिमी देशों की मदद से अफगान मीडिया ने काफी विकास किया था। लेकिन 15 अगस्त 2021 को तालिबान का क्रूर शासन फिर अफगानिस्तान में आया और पूरे देश पर कब्जा कर लिया। जिसके बाद सब तबाह होने की कगार पर आ गया। पिछले 20 सालों के दौरान, अफगान टेलीविजन चैनल सिंगिंग कंपटीशन, म्यूजिक वीडियो, तुर्की और भारत के प्रोग्राम लेकर आए। इससे पहले 1996 से 2001 तक तालिबान का अफगानिस्तान पर शासन था तो अफगानिस्तान मीडिया नहीं था।
कोड़े मारे जाने की सजा
तालिबान ने अपने पिछले शासन में टीवी, फिल्मों और मनोरंजन के अन्य रूपों को अनैतिक करार देते हुए प्रतिबंध लगा दिया था। टेलीविजन देखते पकड़े जाने पर लोगों को सजा दी जाती, कई बार लोगों को कोड़े मारे जाते थे। उस वक्त रेडियो पर इस्लामी कट्टरता, प्रोग्रामिंग और प्रोपगेंडा परोसा जाता था। जिसके लिए रेडियो स्टेशन ‘वॉयस ऑफ शरिया’ था।