Aparajita Bill 2024 News: कोलकाता रेप-मर्डर केस में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। लोग पीड़िता के लिए जल्द से जल्द न्याय की मांग कर रहे हैं। इसके साथ लोगों ने इस दुष्कर्म को लेकर ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल के कानून प्रशासन पर भी सवाल उठा दिए हैं। इस घटना के बाद लोगों में आरोपियों के खिलाफ आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है।
भाजपा ने किया बिल का समर्थन
सीबीआई इस केस की जांच में जुटी हुई है। इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महिला एवं बाल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। ममता बनर्जी ने स्पेशल सेशन में एंटी रेप बिल पेश किया। जिसे अब पास कर दिया गया है। इस बिल का नाम ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024’ रखा गया है। बता दें कि इस बिल को पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन के तहत पेश किया गया है। भाजपा भी इस बिल का समर्थन करती नजर आ रही है।
#WATCH | कोलकाता: पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा, ’43 साल पहले इसी दिन 1981 में, संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर सम्मेलनके लिए एक समिति बनाई थी… ‘@MamataOfficial #TMC #jantantratv #BreakingNews pic.twitter.com/zj4gRDlvXV
— Jantantra Tv (@JantantraTv) September 3, 2024
गैंगरेप में मौत की सजा का है प्रावधान
ममता सरकार का नया बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट में संशोधन करता है। अपराजिता महिला और बाल विधेयक 2024 बलात्कार के दोषीयों के लिए मृत्युदंड की मांग करता है। इसके अलावा इसमें दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का भी प्रावधान है। इसके साथ ही गैंगरेप के मामले में सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी। साथ ही गैंगरेप में मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
पुलिस को 21 दिन के भीतर पूरी करनी होगी जांच
बंगाल सरकार के बिल में दुष्कर्म के सभी अपराधियों के लिए एक ही सजा का प्रावधान किया गया है। ममता सरकार का ये बिल कहता है कि ‘घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस को 21 दिन के भीतर अपनी जांच पूरी करनी होगी। अगर 21 दिन में जांच पूरी नहीं होती तो कोर्ट 15 दिन का समय और दे सकती है। हालांकि पुलिस को लिखित में जांच में देरी का कारण बताना होगा। बता दें कि बंगाल सरकार के बिल में कहीं भी 10 दिन के भीतर दोषी को फांसी की सुनाने का जिक्र नहीं है।