पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा में हुआ था। वे बीजेपी के पितृपुरुष माने जाते थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी व भारतीय जन संघ के अध्यक्ष भी थे। साहित्य में काफी रुची होने के कारण उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में कई सारे लेख लिखे हैं। एक समावेशित विचारधारा इंसान होने के कारण वे हमेशा से ही एक मजबूत और सशक्त भारत की चाह रखते थे।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
14 अगस्त 1947 से पहले जो ‘एक भारत’ था उस को बरकरार रखने के लिए भारत के विभाजन को बदलने के ज़ोर का एक बड़ा बयान 12 अप्रैल 1964 को दिया गया था। यह समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया और जनसंघ के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी। कहां जाता है की दीनदयाल उपाध्याय की मौत ट्रेन में लुटेरों के साथ झड़प के चलते लुटेरों द्वारा उन्हें ट्रेन से धकेलने के कारण हुई हैं। उनके मौत के मामले की जांच के लिए दिन दयाल उपाध्याय के परिवार ने कई बार मांग उठाई लेकिन उनकी मौत अब तक एक रहसम्य मौत ही बनी हुई हैं।
पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री का संबोधन
इसी अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार के दीन दिल्ली में राजनीतिज्ञ दीन दयाल उपाध्याय के पुण्यतिथि पर भाजपा सांसदों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत में यह कहा, “आज हम सभी दीन दयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं। पहले भी अनेकों अवसर पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने का विचार रखने का और अपने वरिष्ठ जनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है।”
आगे उन्होंने कुछ राज्यों के बंटवारों के मुद्दे का ज़िक्र कर कहा, “भाजपा की सरकारों ने 3 नए राज्य बनाए तो हर कोई हमारे तौर तरीकों में दीनदयाल जी के संस्कारों का प्रभाव स्पष्ट देख सकता है। राज्यों का विभाजन जैसा काम राजनीति में कितने रिस्क का काम समझा जाता था। इसके उदाहरण भी हैं अगर कोई नया राज्य बना तो देश में कैसे हालत बन जाते थे।”
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि
साथ ही प्रधानमंत्री ने यह भी कहां, “आप सबने दीन दयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है। इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भली-भांति परिचित हैं। मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे-जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधिन में आगे यह भी कहा, “सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीन दयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं।”
बता दें कि दीनदयाल उपाध्याय के पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री ने पहले ही ट्वीट कर लिखा था, “दीन दयाल जी का जीवन और उनका मिशन हम सभी को प्रेरणा देता है। उनकी पुण्यतिथि पर 11 फरवरी को मैं भाजपा सांसदों को संबोधित करूंगा।” आपको बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के मौके को बीजेपी ‘समर्पण दिवस’ के तौर पर मनाती है।