लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी के एक ऐलान ने पूरी कांग्रेस को हिलाकर रख दिया…राहुल ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया ..और तभी से कांग्रेस में मंथन का दौर जारी है …अब पार्टी के तमाम बड़े नेता गांधी नेहरू परिवार की तरफ देख रहे हैं ..कि उनका अगला कदम क्या होगा ..वहीं कई सवाल भी हैं कि क्या अब UPA-1, UPA-2 की तरह कांग्रेस पार्टी को भी रिमोट से चलाने की तैयारी है।
राजीव गांधी की हत्या के बाद इस तरह का प्रयोग 2 बार हो चुका है। पीवी नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी के वक्त में 10 जनपथ से ही कांग्रेस पार्टी का नियंत्रण और संचालन हो रहा था। 10 जनपथ सोनिया गांधी का सरकारी आवास है और कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय लोगों के लिए 10 जनपथ का वही महत्व है जो महत्व इंग्लैंड में 10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटेन की महारानी) का है। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जिस तरह से राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। ये अपने आप में कई सवालों को जन्म देता है।
मसलन क्या राहुल गांधी आज के कांग्रेस पार्टी को नेहरु, इंदिरा और राजीव गांधी की तरह चलाना चाहते हैं?
क्या राहुल गांधी सार्वजनिक जीवन में सामूहिक नेतृत्व और मूल्यों की राजनीति को फिर से पुनर्स्थापित करना चाहते हैं ?
क्या राहुल गांधी जीत और पराजय के लिए पार्टी के नीति निर्धारकों और नेतृत्व को जवाबदेह बनाना चाहते हैं?
क्या राहुल गांधी राजनीति को सेवा का एक माध्यम मानते हैं ?
आज के दौर में कांग्रेस पार्टी की तरह दुनिया की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां व्यक्ति केंद्रित सिद्धांत पर ही चल रही हैं। अगर हम भारत की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था पर नजर डालें तो कांग्रेस की व्यक्ति केंद्रित राजनीति की आलोचक रही सभी पार्टियां कमोबेश इसी तरह की राजनीति के सिद्धांत पर चल रही हैं। इसलिए मौजूदा दौर में राहुल गांधी का ये प्रयास उल्टी गंगा बहाने जैसा दिखाई दे रहा है। शायद यही कारण है कि इस्तीफे के इतने हफ्ते गुजर जाने के बाद भी कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं से लेकर नेतागण तक सभी गांधी परिवार की तरफ ही आस भरी नजरों से देख रहे हैं।
ये सच है कि कांग्रेस पार्टी के DNA में ही गांधी परिवार है और गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व और उसके REVIVAL की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शंकर जी के बारात रूपी इस कांग्रेस पार्टी में मौजूद अलग अलग जात, संप्रदाय, पंत और सोच के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता सिर्फ और सिर्फ गांधी परिवार में ही है। इतिहास गवाह है कि जब-जब गांधी परिवार कांग्रेस से दूर हुई, या दूर जाने की कोशिश की, तब तब पार्टी कमजोर हुई, पार्टी का विघटन हुआ, बिखराव हुआ। वो चाहे पीवी नरसिम्हा राव का दौर रहा हो या सीताराम केसरी का। इसलिए ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि गांधी परिवार कांग्रेस पार्टी के लिए लाइफलाइन भी है और SPINAL CORD भी।
इसलिए अगर एक बार फिर गांधी परिवार में से ही किसी को अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है तो ये इसी ऐतिहासिक सच्चाई का हिस्सा है। ये भी सच है कि इस्तीफा देने के बावजूद पार्टी का ‘RANK & FILE’ राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के ही इशारे पर काम कर रहा है। और देश में जितनी भी सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियां हो रही हैं। उन सभी गतिविधियों में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इन्हीं तीनों नेताओं के निर्देशन में हिस्सा ले रहे हैं। इसलिए राहुल गांधी भले ही कह रहे हों कि पार्टी का नया अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर का होना चाहिए। लेकिन पार्टी के नेता और कार्यकर्ता तो गांधी परिवार से बाहर के किसी भी व्यक्ति को नेता मानने को तैयार नहीं दिख रहे।
– वासिन्द्र मिश्र