रश्मि सिंह|Bodhi Day 2023: आज बोधि दिवस मनाया जा रहा है, हर साल 8 दिसंबर को बोधि दिवस मनाया जाता है। गौतम बुद्ध को ही बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है। बौद्ध धर्म विश्वभर में मानने वाला प्रमुख धर्मों में से एक है। बौद्ध धर्म आध्यात्मिक ज्ञान के प्रति ध्यान केंद्रित करता है। बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए बोधि दिवस का दिन बहुत खास होता है।
बोधि दिवस का इतिहास
राजकुमार सिद्धार्थ गौतम जोकि बाद में बौद्ध धर्म के संस्थापक बनें. इनका जन्म लुंबिनी में 562 ई.पूर्व हुआ था। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जोकि शाक्य वंश के राजा थे। जब एक बार सिद्धार्थ गौतम राज्य दौरे पर निकले तो उन्होंने आसपास गरीबी व बीमारी देखी और इसी का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। कहा जाता है कि, जब उन्होंने गृह त्याग किया तब उनकी आयु 29 वर्ष थी। 6 साल तक उन्होंने जीवन का अर्थ ढूंढने के लिए गहन आत्मनिरीक्षण, तप और ध्यान किए। अंत में बिहार के बोधगया में उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। बोधि दिवस उस क्षण की याद दिलाता है, जब सिद्धार्थ गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ और वे बुद्ध बनकर जागृत हुए। ये सब आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले हुआ था।
कैसे मनाया जाता है बोधि दिवस
दुनियाभर में इस दिन को बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। बोधि दिवस को मनाए जाने का मुख्य आकर्षण है सभी के लिए अच्छे कार्य करना, जीवन के महत्वपूर्ण पाठों को याद करना, जीवन का अर्थ खोजना और आध्यात्मिकता की नींव को मजबूत बनाना। आमतौर पर इस दिन लोग एक अंजीर के पेड को बोधि वृक्ष के समान सजाते है। क्योंकि बोधि वृक्ष के नीचे ही बुद्ध ने ध्यान किया था। बौद्ध भिक्षु इस दिन विशेष पूजन भी करते है।