नई दिल्लीः फिल्म ‘संदीप और पिंकी फरार’ हिंदी सिनेमा के निर्देशकों की उस सोच की फिल्म है जिसमें कोई निर्देशक एकाएक खुद को एक अलग तरह का फिल्मकार मानने लगता है। उसे लगता है कि उनसे इतना वर्ल्ड सिनेमा देख लिया है कि वह गलत हो ही नहीं सकता। लेकिन, ‘संदीप और पिंकी फरार’ के दर्शक गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, मुरादाबाद, पटना, पुणे और जयपुर के दर्शक हैं। न्यूजर्सी के नहीं। ये उतावले दर्शक हैं। इन्हें हरियाणवी पुलिस अफसर ‘पाताललोक’ जैसा चाहिए। पिंकी जैसा नकली नहीं।
बता दें की फिल्म की कहानी और इसका निर्देशन इसकी सबसे कमजोर कड़ियां हैं। इंटरवल से पहले फिल्म तेज रफ्तार में भागती है और इंटरवल के बाद फिल्म में कुछ बचता ही नहीं है। जेम्स बॉन्ड की फिल्मों की तरह ‘संदीप और पिंकी फरार’ पहले ही सीन से दर्शकों को अलग दुनिया में ले जाने की कामयाब कोशिश तो करती है लेकिन, खुलकर समझ नहीं आता कि आखिर फिल्म की कहानी किस और जा रही है ? कहानी कब्ज सी अटकी रहती है। और, इतना प्रेशर बनाने के बाद मामला बाहर आता भी है तो दर्शकों को कोई सुख नहीं दे पाता।
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा फिल्मकार राहुल मित्रा को मिला ‘यूपी गौरव सम्मान’
फिल्म की कहानी पड़ी कमजोर-
दरअसल फिल्म में लीड कलाकारों से बेहतर अन्य चेहरों ने अभिनय किया है, नीना गुप्ता और रघुबीर यादव वेब सीरीज ‘पंचायत’ के बाद फिर कमाल लगे हैं। हालांकि, फिल्म ये उस वेब सीरीज से काफी पहले की शूट हो चुकी दिखती है। सुरुचि औलख, देव चौहान, राहुल कुमार का काम असर छोड़ता है। लेकिन, यही बात अर्जुन कपूर और जयदीप अहलावत के लिए नहीं कही जा सकती है। दोनों से इस फिल्म में बहुत उम्मीदें थीं।परिणीति चोपड़ा ने फिल्म में खुद को बेहतर अभिनेत्री साबित करने के लिए पूरा जोर लगाया है। लेकिन, ऐसा करते समय सहज रहना ही एक अभिनेत्री की असली जीत होती है।
Salman Khan की फिल्म ‘राधे’ का पोस्टर आया सामने, इस दिन होगी रिलीज़
दर्शक नहीं हुए प्रभावित-
तकनीकी तौर पर फिल्म में सिनेमैटोग्राफी छोड़ कुछ प्रभावित नहीं करता। अनिल मेहता का कैमरा कमाल है, लेकिन इसके अलावा म्यूजिक से लेकर एडीटिंग और बैकग्राउंड म्यूजिक से लेकर कलर करेक्शन तक सब थोपा हुआ सा है। फिल्म ‘संदीप और पिंकी फरार’ की रिलीज से निर्देशक दिबाकर बनर्जी के जीवन वृत्त का एक चक्र पूरा हो गया है। अब उन्हें निर्माता बनने का लालच छोड़ सिर्फ उसी काम पर फोकस करना चाहिए, जिसके वह मास्टर हैं। निर्देशक वह कमाल के हैं, बस कहानियां उन्हें अब सतर्क होकर चुननी चाहिए।
https://www.youtube.com/watch?v=H3sI6dWUj3M