जनतंत्र डेस्क, महोबा: दुनिया बहुत आगे बढ़ गई हम डिजिटल हो गए। साइंस और टेक्नॉलजी की बदौलत हम तरक्की कर रहे हैं। लेकिन समाज के कुछ दहेज लोभियों की सोच है कि तरक्की करने का नाम नहीं ले रही। नतीजतन आज भी दहेज के कारण शादियां टूट रही हैं या विवाहिता इस प्रथा की बलि चढ़ रही है। बुंदेलखंड के महोबा में शादी की खुशियां उस वक्त बैंरग लौट गईं जब दूल्हे ने शादी के ऐन पहले दहेज की मांग कर दी।
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महोबा के बजरिया इलाके में रहने वाले रशीद मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। रशीद की 4 बेटियां हैं जिनमें से तीसरी बेटी रोजी की शादी झांसी निवासी फारुख के साथ तय हो गई थी। शादी का दिन आ गया, रस्में हो रही थीं, मेंहदी लग चुकी थी शादी का जोड़ा तैयार था। 7 मार्च को फारुख बारात लेकर रोजी के साथ निकाह करने वाला था। लेकिन शादी के एक दिन पहले दूल्हे ने बाइक और 50 हजार की मांग रख दी। जब लड़के की डिमांड पूरी नहीं हुई तो उसने रोजी से निकाह करने से साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद मानों परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया।
7 मार्च को आनी थी बारात
10 फरवरी को रोजी और फारुख की सगाई हो गई थी। परिवार के लोग बेटी की शादी की तैयारियों में जुट गए। 7 मार्च को घर में बारात आनी थी, ऐसे में शादी की रस्में घर में होने लगी। परिजन बताते हैं कि घर में रतजगा हल्दी की रस्म की तैयारियां चल रही थी। मेहमान आ चुके थे और सभी लोग होने वाली शादी में वैवाहिक गीतों का भी आनंद ले रहे थे। लेकिन इसी दौरान शादी की खुशियों में सन्नाटा पसर गया। आरोप है कि दूल्हा फारुख और उसकी बहन ने दहेज के अलावा एक बाइक और ₹50 हजार की मांग कर दी। यह सुनकर गरीब पिता के पैरों से जमीन खिसक गई और उसने ससुराल वालों को मनाया। लेकिन वर पक्ष बाइक की डिमांड पर अड़ा रहा। जब मांग पूरी नहीं हुई तो शादी से इंकार कर दिया।
सदमें में परिवार
बारात न आने की खबर से दुल्हन की हल्दी की रसम को बीच में रोक दिया गया। पीड़ित परिवार अब कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहा है। जिस बेटी को दुल्हन बनना था वो सदमे में है। परिवार के लोग शादी का जोड़ा देखकर मायूस है। पिता रशीद कहते हैं कि शादी के कार्ड बंट गए थे। खाने, टेंट और अन्य तैयारियां हो चुकी थीं। लेकिन अचानक दहेज की मांग कर उसे लाचार कर दिया। अब बारात लाने से मना कर दिया है।
गरीब पिता ने अपनी कमाई का तिनका तिनका जोड़ कर दहेज का सामान इकट्ठा किया और बेटी की शादी तय की। लेकिन दहेज लोभियों ने एक पिता के अरमानों पर दहेज का पानी फेर दिया और शादी की खुशियां मायूसी में में बदल गईं।
बहरहाल महुआ की रोजी पहली लड़की नहीं है जो दहेज लोभियों का शिकार हुई है। आए दिन ऐसे कई मामले हमारे सामने आते हैं। बात बराबरी की होती है लेकिन दहेज जैसी प्रथाओं ने बराबरी की खाई को और गहरा कर दिया।