नई दिल्लीः इस बार फागुन के अंतिम दिन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा पर रविवार को होलिका दहन होगा। दहन का मुहूर्त शाम सात बजे से लेकर अर्द्धरात्रि 12 बजे तक होगा। पूर्णिमा तिथि 27 की देर रात 2ः28 बजे लग रही है जो 28 की देर रात 12ः39 बजे तक रहेगी। शास्त्रीय मान्यता अनुसार प्रतिपदा, चतुर्दशी, दिन और भद्रा में होलिका दहन त्याज्य है। आमतौर पर हर पूर्णिमा को भद्रा होती है, उसके बाद ही होलिका दहन किया जाता है।
बता दें की इस बार भद्रा रविवार को दिन में 1ः33 बजे ही खत्म हो जा रही है। ज्योतिषी पं. ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को किया जाता है। इसके साथ ही होलाष्टक संपन्न हो जाएगा। दूसरे दिन सोमवार को चैत्र मास कृष्णपक्ष प्रतिपदा को धुरड्डी यानी रंगोत्सव मनाया जाएगा। होलिका दहन के बारे में कहा गया है- ‘निशामुखे प्रदोषे’। प्रदोष काल सूर्यास्त के 48 मिनट के बाद तक होता है।
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होलिका दहन मुहूर्त
पूर्णिमा का मुहूर्त पूर्णिमा काल : 27 मार्च की रात 2ः28 बजे से आरंभ, 28 की देर रात 12ः39 बजे तक,
पूर्णिमा भद्रा काल : रविवार को दिन में 1ः33 बजे तक।
प्रदोष काल : रविवार शाम 6ः59 बजे तक।
होलिका दहन मुहूर्त : रविवार शाम 7ः00 बजे से रात 12ः39 बजे तक।
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शुभ एवं अशुभ फल
दरअसल ऐसा मन जाता है की होलिका दहन की लौ भी शुभ-अशुभ का संकेत देती है। यदि यह लौ पूर्व दिशा की ओर उठती है तो इससे आने वाले समय में धर्म, अध्यात्म, शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में उन्नति के अवसर बढ़ते हैं। वहीं, पश्चिम में आग की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है। उत्तर की ओर हवा का रुख रहने पर देश व समाज में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा दक्षिण दिशा में होली की लौ हो तो अशांति और क्लेश बढ़ता है।