नई दिल्ली : जब भी कभी हमारे दिल में गज़ल का ख्याल आता है, तो बस एक ही नाम जुबान पर आता है, जगजीत सिंह. जगजीत सिंह एक ऐसा नाम, जिसे किसी पहचान की जरूरत नहीं है. जगजीत सिंह को गज़ल की दुनिया का बेताज बादशाह माना जाता है. जगजीत सिंह ने अपनी छाप हिन्दुस्तान के हर घर में छोड़ी है. भले वो आज हमारे बीच में ना हो लेकिन ना हो कर भी वो आज भी जिंदा है.
अपनी गज़लो में और हमारे दिलों में उन को कभी भूलाया नही जा सकता. उन की कुछ गज़ले बहुत लोकप्रिय हैं, जैसे बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी, वो कागज की कस्ती, तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, इस तरह की तमाम गज़ले हमें जगजीत सिंह से मिली.
जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी,1941 में राजस्थान मे हुआ था. वो एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे. उनका मन बचपन से ही पढ़ाई मे नही लगता था. उनको फिल्में देखने का बहुत शौक था. अगर कभी उन को पैसे नही मिलते थे वो घर से पैसे चुरा लेते थे. उनके पिता उन को आईएएस बनाना चाहते थे. उन्होने एमए तक ही पढ़ाई की . उनका मन बचपन से सिंगिंग मे लगता था. इसलिए वो अपना करियर बनाने मुंबई पहुंच गए.
जब वो मुंबई पहुंचे तब शुरू-शुरू उन को कोई काम नहीं दे रहा था. वो अपना पेट पालने के लिए शादी और पार्टियों मे गाना गया करते थे. गाना गाने के उनको 200 से 250 रूपये मिलते थे. कभी-कभी ऐसा होता था कि उन को गाने के पैसे भी नही मिलते थे.
उनकी गज़ल गायिका चित्रा से पहली मुलाकात 1967 मे हुई. उसके बाद उन्होंने 1969 में चित्रा से शादी कर ली. 1976 उन्होंने चित्रा के साथ मिलकर एक एल्बम ‘The Unforgettable’ लांच किया, जिसे लोगों ने काफी पंसद किया. उसके बाद दोनों कपल स्टार बन गए. दोनो की जोड़ी को काफी पंसद किया जाने लगा. चित्रा और जगजीत सिंह ने फिर साथ मे एल्बम करना शुरू कर दिया .1987 में जगजीत सिंह वो भारतीय थे जिन्होंने पहला डिजिटल एल्बम रिकॉर्ड किया था.
1990 में जगजीत सिंह और चित्रा की जिंदगी बदल गई .दोनो ने गायिकी की दुनिया से अलविदा ले लिया, क्योंकि दोनो अन्दर से टूट चुके थे. उन्होंने अपना 18 साल का बेटा एक कार एक्सिडेंट मे खो दिया था. उसके बाद जगजीत सिंह और चित्रा दोनों ने संगीत की दुनिया से अलविदा ले लिया. जगजीत सिंह ऐसा करना तो नही चाहते थे.
जगजीत सिंह 2011 में यूके गुलाम अली के साथ परफॉर्म करने वाले थे. अचानक तबीयत खराब होने की वजह से वो परफॉर्म नही कर पाए. सेरिब्रल हैमरेज होने की वजह से उन्हे लीलावती अस्पताल मे भर्ती कराया गया था. उनकी हालत और खराब हो गई और वो कोमा मे चले गए. 10 अक्टूबर 2011 को उन्होंने अंतिम सांसें ली और दुनिय़ा से विदा हो गए .