जौनपुर : उम्र बचपन की, तस्वीर पचपन की। जी हां, यह कहावत भले सुनकर आपको अटपटा लगे, लेकिन जौनपुर में एक दलित परिवार के उपर यह लाईन सटीक बैठती है। अज्ञात बीमारी के चलते मासूम दिखने वाले बचपन की तस्वीर किसी पचपन वर्ष से कम नही, बल्कि ज्यादा ही दिख रही है। बिमारी ने ऐसी दस्तक दी कि परिवार में एक-एक कर आठ लोगों को अपने चपेट मे इस कदर जकड़ लिया, कि बच्चे भी बूढ़ों जैसे दिखने लगे। बच्चे दो पैर की बजाये तीन पैर के सहारे लाठी लेकर चलना शुरू कर चुके हैं।
जौनपुर मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर स्थित मुंगराबाद शाहपुर थाना इलाके के फत्तूपुरकला गांव के दलित बस्ती की यह हालत है। सरकार बड़े-बड़े दावे भले ही करे और गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने की बात कर रही हो, लेकिन इस परिवार को प्रशासन की तरफ से किसी तरह का कोई मदद आज तक नही मिला है। आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार की तरफ से दिया जाने वाला लाभ भी अधिकारियों की नजर से कोसों दूर है।
जौनपुर के फत्तूपुरकला गांव के दलित बस्ती के दो परिवार में 28 लोग रहते हैं, जिसमें से अज्ञात बीमारी से 9 लोग पीड़ित है। ज्यादातर लोगों के पैर-हाथ तो किसी का कमर टेड़ा-मेड़ा हो जा रहा है। परिवार की आर्थिक दशा इतनी खराब है कि ठीक से इलाज भी नही करा सकते। किसी तरह मेहनत मजदूरी करके यह परिवार अपना गुजर-बसर करता है। बस्ती तक जाने के लिए रोड तक नही बना है। जिले की स्वास्थ्य महकमे का हाल यह है कि आज तक कोई जिम्मेदार बड़ा डॉक्टर देखने तक नही आया और ना ही किसी बड़े अस्पतालों में इलाज करा पाया है।
अज्ञात बिमारी क्या है और कैसे यह परिवार में पहुंचा ? इसका पता मुंगराबाद शाहपुर के सरकारी अस्पताल से किया गया, तो वहां कोई ज़िम्मेदार अधिकारी नही मिला। सीएमओ डॉ रामजी पांडेय ने बताया कि ये कुछ विचित्र तरह की बीमारी है, जिसकी वजह से लोग ऐसे हो जा रहे है। उनके इलाज के लिए टीम बनाई गई है ।