इरफ़ान और ऋषि के बाद एक और दिग्गज ने कहा अलविदा , फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी का निधन
> चुन्नी गोस्वामी 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से नवाजे गए
> 82वें जन्मदिन पर भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान के लिए विशेष डाक टिकट
> परिवार में पत्नी और बेटा सुदिप्तो
> क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व
36 घंटे के भीतर भारत के ३ दिग्गजों ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। 2 दिन के भीतर दिग्गजों के जाने से भारत ग़मगीन है। इरफ़ान खान , ऋषि कपूर के बाद अब भारत के महान पूर्व फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी का गुरूवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। चुन्नी गोस्वामी 82 वर्ष के थे। उन्होंने कोलकाता के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। परिवार के सूत्र ने पीटीआई से कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल में करीब पांच बजे उनका निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी और बेटा सुदिप्तो हैं। बता दें कि गोस्वामी 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान थे
फुटबॉल के साथ क्रिकेट भी
चुन्नी गोस्वामी फुटबॉल के अलावा बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेले थे। गोस्वामी ने भारत के लिए बतौर फुटबॉलर 1956 से 1964 के बीच 50 मैच खेले। वहीं क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया। फूटबाल में चुन्नी गोस्वामी अपनी अच्छी पहचान रखते थे।
गोस्वामी का असल नाम सुबीमल था और उनका जन्म बंगाल के किशोरगंज जिले (मौजूदा बांग्लादेश) में हुआ था।लेकिन , गोस्वामी को उनके निक नेम से ही जाना जाता था। उन्होंने भारत के लिए 1956 से 1964 के बीच में 50 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जिनमें ‘रोम ओलंपिक’ शामिल था। वहीं क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने 1962 और 1973 के बीच 46 प्रथम श्रेणी मैचों में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।
अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से नवाजे गए
जब भारत में फुटबॉल की महाशक्ति थी तब चुन्नी गोस्वामी , पी के बनर्जी और तुलसीदास बलराम भारतीय फुटबाल के स्वर्णिम दौर की शानदार फारवर्ड पंक्ति का हिस्सा थे। इसके साथ ही , चुन्नी गोस्वामी 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से नवाजे गए । भारती डाक विभाग ने जनवरी में उनके 82वें जन्मदिन पर भारतीय फुटबॉल में उनके योगदान के लिए विशेष डाक टिकट जारी किया। बड़ी बात यह है कि, चुन्नी गोस्वामी पूरी जिंदगी एक ही क्लब मोहन बागान के लिए खेले जहां से 1968 में रिटायर हुए। पांच सत्र में टीम के कप्तान रहे और 2005 में मोहन बागान रत्न बने।