वैक्सीनेशन पर काम शुरू, 4 से 6 महीने में कोरोना वैक्सीन के नतीजे की उम्मीद
कोरोना वायरस का प्रकोप दिन पर दिन बढ़ता हीं जा रहा है। पूरे विश्व के सामने कोरोना एक बड़ी चुनौती बन गया है जिसने अब तक लाखों जान ले ली है। इन सबके बिच कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में अच्छी खबर है। देश में तेज़ी से चल रहे कोरोना के खिलाफ ऑपरेशन टीम ने कोरोनावायरस की वैक्सीन का जानवरों पर प्रयोग शुरू कर दिया है । गुजरात की जायडस कैडिला कंपनी यह वैक्सीन बना रही है। हलाकि,अभी नतीजों के लिए 4 से 6 महीनों का इंतज़ार करना पड़ सकता है।जायडस कैडिला कंपनी ने 2010 में देश में स्वाइन फ्लू की सबसे पहली वैक्सीन तैयार की थी।
मार्च से ही चल रहा है वैक्सीन पर काम
देश में वर्ष के शुरुआत यानि कि जनवरी माह में ही कोरोना का पहला मरीज मिल गया था। इसके बाद धीरे धीरे कोरोना ने भयावह रूप धारण कर लिया। मार्च में ही जायडस कैडिला कंपनी ने सूचना दी थी कि हम कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना रहे हैं। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर शर्विल पटेल ने बताया कि जायडस कैडिला टीम कोरोना की वैक्सीन पर काम कर रही है । वैक्सीन का ट्रायल समय लेने वाली प्रक्रिया होती है। हमें इसमें कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर नहीं
चीन में कोरोनावायरस के चलते भारतीय फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री चिंतित है। भारत की कई कंपनियां कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है । हालांकि, जायडस कैडिला बहुत ज्यादा निर्भर नहीं हैं।आमतौर पर कंपनियां 60 से 90 दिन की इन्वेंट्री के साथ चलती हैं। ऐसे में ,कोरोना के कारण सप्लाई में कोई मुश्किल पेश नहीं हपनी चाहिए।
भारतीय कंपनियां हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन का उत्पादन बढ़ाएंगी
हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वि वर्तमान में संजीवनी बूटी सा बन गया है।ऐसे में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। सरकार ने दवा कंपनियों को हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन और इसकी सप्लाई सुनिश्चित करने को कहा है। सरकार ने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन की 10 करोड़ टैबलेट बनाने का ऑर्डर जायडस और इप्का लैबोरेटरीज जैसी कंपनियों को दिया है। इतनी टैबलेट 50 से 60 लाख कोरोना मरीजों के इलाज के लिए काफी है। इसके अलावा होने वाला उत्पादन अमेरिका सहित अन्य देशों में निर्यात किया जा सकता है।
दो कंपनियों की 80% भागीदारी से बढ़ेगा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन का उत्पादन
विश्व के अलग अलग देशों से भारत से हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन की मदद मांगी जा रही है। ब्राज़ील ,अमेरिका जैसे देश ने भारत का धन्यवाद भी किया है मलेरिया के इलाज में असरदार मानी जाने वाली हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भारत में सबसे ज्यादा उत्पादन इप्का लैबोरेटरीज और जायडस कैडिला करती है। फार्मा सेक्टर के जानकारों के अनुसार, भारत में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन के कुल उत्पादन में इन दोनों कंपनियों की भागीदारी 80% से भी ज्यादा है। जायडस कैडिला हर महीने 20 टन हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन बना सकती है। वहीं वर्त्तमान में इसी कंपनी वैक्सीन का प्रयोग भी शुरू कर दिया है। सरकार ने मंगलवार को हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन समेत 28 दवाइयों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये प्रतिबंध हटाने के संदर्भ में बात की थी, ताकि अमेरिका को पर्याप्त दवाइयां मिल सकें। इसके मंगलवार को ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख कर हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन को संजीवनी बूटी बताया।