पटना : बिहार की राजधानी पटना में भीषण जलजमाव के बाद लोगों की स्थिति और बदतर होते जा रही हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों की स्थिति में कोई विशेष सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। एक ओर जहां पटना की आधी आबादी दुर्गा पूजा के जश्न में डूबी हुई है, तो वहीं दूसरी ओर पटना की आधी आबादी काले पानी की सजा काट रही है।
बारिश थमने के बाद अब महामारी का खतरा
पटना में बारिश तो थम गई है लेकिन पटना की सड़के, घरों के आंगन, बाज़ार सब पानी में डूबे हैं। और पानी भी ऐसा जो जमे-जमे काला पड़ गया है और इसी काले पानी के बीच घुट-घुट कर जी रहे हैं शहर के लोग। कल तक जो शहर गर्दन तक डूबा था, वो पानी कम होने से थोड़ी राहत की सांस तो ले रहा है, लेकिन डर-डर कर जी रहा है, डर महामारी का है। पानी ने तो अब तक 150 से ज़्यादा जाने ली हैं, अब डर है कि महामारी कहीं पूरी आबादी को चपेट में ना ले ले।
जलजमाव के कारण बाज़ारों की उड़ी है रौनक
जलजमाव के आठ दिन बीत गये हैं। लोग रोज़मर्रा के काम करने के लिए घर से मजबूरी में निकल रहे हैं। रोज़ी रोटी कमाने के लिए लोग घरो से बाहर तो आ रहे हैं लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं। खरीदे भी तो कैसे ? बाहर गंदा और बदबूदार पानी जो भरा है। राजेंद्रनगर की बात करें तो वहां हालात ज़्यादा खराब हैं। पानी कम हुआ है, लेकिन अब भी करीब तीन फीट पानी भरा है। अब ये इलाका संक्रमण का अड्डा बन गया है। खिड़की खोलने पर ताजी हवा की जगह बदबू का एहसास हो रहा है और मच्छर धावा बोल रहे हैं। बारिश का पानी नाले के पानी से मिल गया है। कुछ भी अच्छा नहीं है, बस दुर्गंध ही दुर्गंध।
पीने का पानी भी प्रदुषण की चपेट में, शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं लोग
शहर में पेयजल के सभी स्रोतों में गंदा पानी भर गया है, लिहाजा यहां शुद्ध पेयजल की भारी किल्लत है। पटना के कई इलाकों में पांच फीट पानी जमा है और अब पानी सड़ने लगा है, जिसके कारण बदबू से लोग परेशान हैं। ऐसे में पटना में केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है और पटना नगर निगम की 75 टीमों को फॉगिंग और ब्लीचिंग के छिड़काव के काम में लगाया गया है, लेकिन लोग अब डेंगू का शिकार होने लगे हैं।
डेंगू के मरीज़ों की बढ़ रही है संख्या
पीएमसीएच में एक दिन में डेंगू के 67 मरीज़ मिले हैं, इसमें से 63 पटना जिले के हैं, कुल डेंगू के मरीज़ो की बात करें तो ये आंकड़ा 670 तक पहुंच गया है। वहीं डेंगू के अलावा चिकुनगुनिया के 23 मरीज और दिमागी बुखार यानी जेई के 46 रोगी भी अस्पताल में भर्ती हुए हैं।
एक तरफ राजधानीवासी काले पानी के संकट से जूझ रहे हैं वहीं सरकारी अमला एक दूसरे पर बदहाली का ठीकरा फोड़ने में लगा है, लेकिन लोगों को राहत कैसे दी जाए ? इस पर कोई विचार नहीं कर रहा हैं। ऐसे में पटना के लोगों को इंतजार है तो सिर्फ इस संकट से निकलने का।