Demonetisation – के तीन साल बाद आभूषण कारोबारियों का सच आया सामने
नई दिल्ली : नोटबंदी Demonetisation के करीब तीन साल बाद एक बड़ा खुलासा हुआ है, पता चला है कि इस दौरान आभूषण कारोबारियों ने बेहिसाब संपत्ति बैंकों में जमा की, बताया जा रहा है कि आंकड़ों के विश्लेषण के बाद वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने नोटबंदी के दौरान ज्वैलर्स की तरफ से बैंकों में जमा की गई भारी नकदी की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है, दरअसल, इन कारोबारियों ने जितनी नकदी जमा की है वो उनके आय के स्त्रोतों से मेल नहीं खाती है, वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसियां पहले ही संकेत दे चुकी थीं कि नवंबर, 2016 में लागू नोटबंदी को चूना लगाने में ज्वैलर्स (Jewelers) सबसे आगे रहे थे तकरीबन चार साल की जांच के बाद सामने आ रहे तथ्य इन एजेंसियों के संकेत को सही साबित करते हैं।
Demonetisation के समय 93 हज़ार फीसदी ज्यादा रकम बैंकों में जमा
बता दें कि 30 दिसंबर, 2016 के आंकड़े बताते हैं कि किसी ज्वैलर ने सामान्य से 93 हज़ार फीसदी ज्यादा रकम बैंकों में जमा करवाई तो किसी ने अपनी सालाना कमाई से एक हजार फीसदी ज्यादा राशि उसी वक्त जमा करा दी,खबर ये भी है कि पांच लाख रुपये की सालाना आय वाले ज्वैलरों ने दो-तीन दिनों में करोड़ो रुपये जमा करा दिए, इन आंकड़ों की छानबीन हो रही है, वहीं इस साल जनवरी में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु के करीब 10 हजार ज्वैलर्स को नोटिस भेजा है, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटबंदी (Demonetisation) के बाद बड़े पैमाने पर नकदी जमा कराने वाले देशभर के हजारों जौहरियों को इनकम टैक्स का नोटिस भेजा है।
Demonetisation के दौरान गुजरात में 100 करोड़ जमा
बता दें कि नोटबंदी Demonetisation के बाद ऐसी खबरें थीं कि जयपुर और गुजरात में कुछ ज्वैलर्स में से सभी ने 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा जमा कराए थे, जिन ज्वैलर्स को ये नोटिस मिला है उन्हें अपील दायर करने से पहले इनकम की कम से कम 20 फीसदी राशि जमा करनी होगी, मुंबई में ही टैक्स विभाग(Income Tax Department) ने करीब 500 ज्वैलर्स को टैक्स रिकवरी का नोटिस भेजा है. नई दिल्ली में ये संख्या और ज्यादा है, देश में तीन लाख से अधिक जूलर्स हैं और नोटबंदी के बाद इनमें से कई सोने के ज्वैलर्स की बिक्री के लिए पुराने नोटों को लेने में बेहद सक्रिय थे।