नई दिल्ली : एक तरफ जहाँ देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है, वहीं लोगों को महंगाई के भी झटके लग रहे हैं। सरकार की तरफ से महंगाई को काबू में रखने को लेकर भले ही तमाम तरह के दावे किये जाते हो, लेकिन आंकड़ों की मानें तो अगस्त में महंगाई दर 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गयी। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च के अनुसार, सीपीआई मुद्रास्फीति की दर जुलाई में 3.15 प्रतिशत थी, जो अगस्त में बढ़कर 3.23 प्रतिशत हो गई।
कोटक ने अपनी रिपोर्ट में व्यक्त किया है कि जुलाई में औद्योगिक क्षेत्र में प्रोडक्शन में वृद्धि हुई है। जुलाई में प्रोडक्शन 2.3 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले महीने की तुलना में इसमें 2 प्रतिशत का मामूली सुधार हुआ है। इससे पहले जून में, IIP की ग्रोथ घटकर 2% रह गई, जो एक साल पहले इसी महीने में 7% थी। मंदी का मुख्य कारण खनन और विनिर्माण क्षेत्र में कमजोरी थी। प्राइमरी वस्तुओं का विनिर्माण जून में सिर्फ 0.5 प्रतिशत बढ़ा, जो एक साल पहले 9.2 प्रतिशत था।
वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन गुड्स की मैन्युफैक्चरिंग में 1.8 फीसदी की कमी आई है। महीने में पूंजीगत सामानों के निर्माण में भी काफी कमी आई थी। कोटक की रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार को उम्मीद है कि जुलाई में आईआईपी 2.6 फीसदी की दर से बढ़ सकता है। बता दें कि मंदी की दौर से गुजर रहे भारत की जीडीपी वृद्धि पहली तिमाही में 6 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसके पीछे मुख्य रूप से प्रोडक्शन, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र में कमजोर मांग की वजह से गिरावट देखने को मिली है।