नई दिल्ली : भारत में अब आपको बहुत जल्द रबड़ वाले टायर की मेट्रो ट्रैक पर दौड़ती हुई नज़र आ सकती है. इस ट्रेन के लिए एक कॉरिडोर बनाये जाने की चर्चा है. कॉरिडोर बनने के बाद रबड़ वाले टायर लगी मेट्रो फर्राटा भरने लगेगी. आपको बता दें कि अभी इस तरह की मेट्रो पेरिस, हॉन्ग कॉन्ग, और मलयेशिया में चल भी रही हैं.
मेट्रो की रफ्तार की बात करें तो इसकी सफ्तार 60 किलीमीटर घंटे की होगी. मेट्रो के सुरक्षा की बात करें तो इसमें इंटरनेशनल लेवल की सुरक्षा होगी. सबसे बड़ी और खास बात इसमें ये है कि इसे चलाने में 3 गुना कम खर्च आएगा, यानि 100 करोड़ रुपये प्रति किमी की लागत आएगी.
क्या खास होगा इसमें ?
मेट्रोलाइट ट्रेन में 3-3 कोच होंगे. तकरीबन 300 से 350 यात्री इसमें सफर कर सकेंगे. इसमें पिलर या सुरंग बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसे तारबंदी या दीवार बनाकर स्पेशल कॉरिडोर तैयार कर दौड़ाया जा सकता है. दिल्ली मेट्रो में आपको पहले टिकट लेना पड़ता है, उसके बाद आप इसमे सफर कर सकेंगे. लेकिन इसमें बिल्कुल अलग होगा. बताया जा रहा है इस मेट्रो में आपको टिकट ट्रेन के अंदर ही मिलेगा. अगर आप टिकट नहीं लेते हैं तो आपकी मुश्किलें भी बढ़ सकती है. टिकट नहीं लेने पर आपको भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. सुरक्षा जांच बिल्कुल अभी वाली मेट्रो की तरह ही होगी.
नोएडा और ग्रेनो में अभी कई इलाके विकसित हो रहे हैं. आबादी पूरी बसी नहीं है, ऐसे में इस तरह की मेट्रो के लिए कॉरिडोर बनाना आसान होगा. द्वारका में इसे सबसे पहले चलाने की तैयारी की जा रही है. अभी डीपीआर और अन्य प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है. नोएडा और ग्रेनो अथॉरिटी की आर्थिक स्थिति अभी खस्ताहाल है. ऐसे में इतना खर्च उठा पाना मुश्किल लगता है. अगर मेट्रोलाइट के विकल्प पर राज्य सरकार विचार करती है तो 3 गुना कम लागत में इसे तैयार किया जा सकेगा.
सेक्टर-142 को बॉटनिकल गार्डन से जोड़ने का प्रस्ताव भी आर्थिक तंगी की वजह से अभी अधर में फंसा है. कर्ज से दबी अथॉरिटी को यह सुझाव केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने दिया है. सेक्टर-51 एक्वा लाइन और सेक्टर-52 ब्लू लाइन मेट्रो को जोड़ने वाले 300 मीटर वॉकवे का रविवार को उद्घाटन करने दुर्गा शंकर पहुंचे थे.
ट्राम तो आपने देखा होगा, लगभग उसी तर्ज पर शहर में मेट्रो चल सकती है. बस एक कॉरिडोर बनेगा और रबड़ वाले टायर लगी 3 कोच की मेट्रो फर्राटा भरने लगेगी. पेरिस, हॉन्ग कॉन्ग, मलयेशिया में ऐसी मेट्रो चल भी रही हैं. रफ्तार भी 60 किमी/घंटे की होगी. सुरक्षा की चिंता छोड़ दीजिए, बिल्कुल इंटरनैशनल लेवल की होगी. मेट्रोलाइट के नाम से इसे जाना जाता है.
नोएडा में सेक्टर-51 से ग्रेनो वेस्ट के नॉलेज पार्क तक एक्वा लाइन मेट्रो के विस्तार की योजना है. अगर पिलर वाला मेट्रो कॉरिडोर बनाया जाता है तो यहां करीब 300 करोड़ रुपये/किमी का खर्च आएगा. इसी मेट्रो को अगर भूमिगत बनाया जाएगा तो लागत 550 करोड़ रुपये/किमी तक पहुंच सकती है. नोएडा और ग्रेनो अथॉरिटी की आर्थिक स्थिति अभी खस्ताहाल है, ऐसे में इतना खर्च उठा पाना मुश्किल है. अगर मेट्रोलाइट के विकल्प पर राज्य सरकार विचार करती है, तो 3 गुना कम लागत में इसे तैयार किया जा सकेगा. सेक्टर-142 को बॉटनिकल गार्डन से जोड़ने का प्रस्ताव भी आर्थिक तंगी की वजह से अभी अधर में फंसा है.
हालाँकि अभी इस तरह के कॉरिडोर बनाने या फिर लाइट मेट्रो के परिचालन को लेकर NMRC की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार NMRC ने इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी है और इस पर आम सहमती बनने के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जायेगा.