पटना : बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-जदयू नेताओं में बयानबाज़ी शुरू हो गयी है। बीजेपी के एक नेता द्वारा नीतीश कुमार की जगह बीजेपी के मुख्यमंत्री होने की बात कही थी और मोदी लहर का हवाला दिया था, जिसके जवाब में जदयू के एक नेता ने बीजेपी नेता को 2015 के चुनाव परिणाम की याद दिलाई थी। वहीँ बीजेपी-जदयू के बीच जारी घमासान के बीच सुशील मोदी सामने आये और उन्होंने ट्वीट कर नीतीश कुमार को बिहार NDA का कप्तान कहा।
हालाँकि ये पहला मौका नहीं है जब जदयू-बीजेपी के बीच अनबन की खबर सामने आयी हो। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जदयू ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद दोनों दलों में नाराज़गी देखने को मिली थी। वहीँ जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के फैसले को जहाँ बसपा ने समर्थन दिया था, वहीँ जदयू ने इसका विरोध किया था। इससे इतर भी कई मौकों पर दोनों दलों के बीच नाराज़गी देखने को मिलती रहती है।
इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी-शाह के नेतृत्व में बीजेपी अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रही है। मोदी-शाह के नेतृत्व में बीजेपी ने कई क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व को ख़त्म कर दिया है और कई राज्यों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को छोटे भाई की भूमिका में रखा है, जो पहले बड़े भाई की भूमिका में थे। महाराष्ट्र इसका सबसे अच्छा उदहारण है।
ऐसे में संभव ये भी है कि बीजेपी अब बिहार में भी अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री का प्रस्ताव जदयू के सामने रखे। जदयू द्वारा ऑफर स्वीकार न किये जाने की स्थिति में बीजेपी एक बार फिर अकेले चुनावी मैदान में भी उतर सकती है और हो सकता है कि एक बार फिर मोदी मैजिक के जरिये बीजेपी यहाँ भी अकेले दम पर सरकार गठित कर ले। बहरहाल देखना ये होगा कि दोनों दलों के बीच किन-किन बातों पर सहमति बनती है। बता दें कि बिहार में 2020 में विधानसभा के चुनाव होने हैं।