नई दिल्ली : आज ज्योतिबा फूले की जयंती है, ज्योतिराव गोविंदराव फुले भारत के महान विचारक (Jyotiba phule Jayanti) समाजसेवी, लेखक और दार्शनिक थे, उनके विचार आज भी समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है, और आज भी लोग उनके विचारों को अपनाते हैं ,ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म आज ही के दिन साल 1827 में हुआ था, उनको महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्य के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
Jyotiba phule Jayanti है आज
वैसे उनका असल नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था लेकिन ज्योतिबा फुले के नाम से मशहूर हुए (Jyotiba phule Jayanti),उनका परिवार सतारा से पुणे आ गया था गोविंदराव का पूरा परिवार माली का काम करता था,माली का काम करने की वजह से उनके परिवार को ‘फुले’ के नाम से जाना जाता था, उनके नाम का संबंध इसी फूले से पड़ा।
खोला था महिलाओं के लिए पहला स्कूल
ज्योतिबा फूले ने महिलाओं के लिए देश में पहला महिला शिक्षा स्कूल खोला था , इसके अलावा वो भारतीय समाज में होने वाले जातिगत आधारित विभाजन और भेदभाव के कट्टर दुश्मन थे, वो जात-पात को नहीं मानते थे, उस समय महाराष्ट्र में जाति प्रथा बड़े पैमाने पर फैली हुई थी उसको दूर करने के लिए उन्होंने प्रार्थना समाज की स्थापना की, उन्होंने अपनी पत्नी को सावित्री को पढ़ाया और वो दूसरों को पढ़ाने लगीं। सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं।ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई, 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी।
हम आपको उनके जन्मदिन पर उनके विचार बताते है जो आज भी प्रासंगिक
- भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान -पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे।
- शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है।
- आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।