नई दिल्लीः Vaccine: हर साल एक बीमारी जो ना जानें कितनों की जान ले जाती है। अपनों को आंखों के सामने मरते देखना, स्वास्थ्य सिस्टम का दम तोड़ना, बेबसी और लाचारी और सांसे उखाड़ती बीमारी। ये हालातों की भयावहता को दर्शाते हैं। भारत में हर साल मलेरिया फैलने की खबर आती है। गंदगी, गर्मी और नमी ,ये मलेरिया को फैलने का पूरा मौका देते हैं और भारत में ये माहौल हमेशा नजर आता है। मादा मच्छर से ये बीमारी फैलती है। इस बीमारी का फेवरेट सीजन मई से अगस्त है और किसी बीमारी की जड़े मजबूत करने के लिए 3-4 महीने काफी होते हैं।
भारत में हर साल मलेरिया कई जानें लील लेता है। कुछ बीमारी की रफ्तार तो कुछ लचर स्वास्थ्य सिस्टम। ऐसी सूरत में देश न केवल उस मर्ज और मरीज से लड़ता है। साथ ही हालात और मजबूरियों से भी सामना करता है। मलेरिया भी एक वैश्विक बीमारी है। अफ्रीका इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश है। डर के साए के बीच क्या मलेरिया जैसी बीमारी से कभी उबर पाएंगे। जवाब अब शायद हां में दिया जा सकता है, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया के टीके को मंजूरी दे दी है। कोरोना महामारी के बीच निसंदेह ये एक सुखद खबर है।
Malaria Vaccine: टीका बनने में लग गए 30 साल
जिन वैज्ञानिकों ने एक साल के भीतर कोरोना जैसी महामारी का टीका बना दिया। उन वैज्ञानिकों को मलेरिया का टीका निकालने में तकरीबन 30 साल लग गए। आप अंदाजा लगा सकते हैं। जिस बीमारी को हम साधारण या सामान्य समझते हैं, वो कितनी असामान्य है। हर साल घर घर ये बीमारी अपने पांव पसारती है। 5 हजार साल से दुनिया इस बीमारी की जद में है तो इसे सामान्य कैसे कहा जा सकता है। 30 साल से मलेरिया के टीके की खोज में लगी टीम को अब जाकर सफलता मिली है और मलेरिया के लिए टीके आरटीएस, एस/एएस01 को WHO ने मंजूरी दे दी।
कहां हुआ वैक्सीन का ट्रायल
मलेरिया की वैक्सीन का ट्रायल अफ्रीकी देशों में किया गया। जिसमें केन्या, घाना और मालावी मुख्य थे। इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रकोप भी अफ्रीकी देशों में ही है। यहां वैक्सीन ट्रायल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया। इस प्रोग्राम में 23 लाख बच्चों को मलेरिया का टीका लगाया गया। जिसके नतीजों के आधार पर WHO ने इसे मंजूरी दी।
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किस हद तक कारगर होगी मलेरिया की वैक्सीन
WHO की मानें तो वैक्सीन से मलेरिया के हर 10 में से 4 मामले रोके जा सकते हैं। वहीं, गंभीर मामलों में 10 में से 3 लोगों को बचाया जा सकता है। वहीं, मलेरिया से हर साल 4.09 लाख मौतें होती हैं। जिनमें सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों के बच्चे होते हैं। अब वैक्सीन आने पर मौतों के आंकड़ों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। फिलहाल यह सभी देशों पर निर्भर करता है कि मलेरिया को रोकने के लिए वे अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में इस टीके को कब तक और कैसे शामिल करती हैं।
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