जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपको यह पता है कि कि योगआसन क्या होता है? नहीं! तो आइयो जानते हैं, चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन शब्द संस्कृत भाषा के ‘अस’ धातु से बना है जिसके दो अर्थ हैं- पहला है बैठने का स्थान तथा दूसरा शारीरिक अवस्था।
योगासनों का मुख्य उद्येश्य क्या होता है?
शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। शरीर ही मन और बुद्धि की सहायता से आत्मा को संसार के बंधनों से योगाभ्यास द्वारा मुक्त कर सकता है। शरीर बृहत्तर ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।
आसन एक वैज्ञानिक पद्धति है। ये हमारे शरीर को स्वच्छ, शुद्ध व सक्रिय रखकर मनुष्य को शारीरिक व मानसिक रूप से सदा स्वस्थ बनाए रखते हैं। केवल आसन ही एक ऐसा व्यायाम है जो हमारे अंदर के शरीर पर प्रभाव डाल सकता है।
आसन और व्यायाम में क्या अंतर है?
आसन और अन्य तरह के व्यायामों में यह फर्क है कि आसन जहाँ हमारे शरीर की प्रकृति को बनाए रखते हैं वहीं अन्य तरह के व्यायाम इसे बिगाड़ सकते हैं। जिम या अखाड़े के शरीर- शरीर के साथ किए गए अतिरिक्त श्रम का परिणाम होते हैं जो सिर्फ दिखने के ही होते हैं। यह बॉटी की एक्सट्रा एनर्जी को डिस्ट्रॉय करते हैं।
आसनों कितने प्रकार के होते हैं?
- बैठकर किए जाने वाले आसन- पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, ब्राह्म मुद्रा, उष्ट्रासन, गोमुखासन। आदि।
- पीठ के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन- अर्धहलासन, हलासन, सर्वांगासन, विपरीतकर्णी आसन, पवनमुक्तासन, नौकासन, शवासन आदि।
- पेट के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन- मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, विपरीत नौकासन आदि।
- खड़े होकर किए जाने वाले आसन- ताड़ासन, वृक्षासन, अर्धचंद्रमासन, अर्धचक्रासन, दो भुज कटिचक्रासन, चक्रासन, पादहस्तासन आदि।
- अन्य : शीर्षासन, मयुरासन, सूर्य नम:स्कार आदि।