नई दिल्ली: मुंबई में इमारतें जमींदोज़ हो रहीं हैं और प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है इस बार मुंबई में 100 साल पुरानी बिल्डिंग गिरी है तो आखिर कब तक मायानगरी इस तरह के हादसों का शिकार होती रहेगी। कभी पुल का गिर जाना, पानी भर जाना, इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा ?
सपनों का शहर मुंबई अब हादसों का शहर बनता जा रहा है, मायानगरी में मौत का तांडव हो रहा है। एक तरफ बारिश से समंदर गरज रहा है और दूसरी तरफ कहीं दीवारे तो कहीं बिल्डिंगें जमींदोज़ हो रही हैं लेकिन इस सबके बीच बड़ा सवाल है आखिर प्रशासन क्यों नाकाम है।
हादसों के दर्द से कराह रही मुंबई के सीने में फिर दर्द उठा है। इस बार मुंबई के डोंगरी इलाके की सौ साल पुरानी इमारत जमींदोज़ हो गई है और कई जिंदगियां इसमें दबकर मौत की नींद सो चुकीं हैं, परिवार बेघर हो गए हैं। प्रशासन मौके पर पहुंचा है। राहत और बचाव का काम किया गया है। लेकिन ये सब अगर समय रहते चंद रोज पहले हो जाता तो शायद आज दम का ये मंजर पेश ना आता और हंसते खेलते परिवार अपनी जिंदगी में खुश रहते, मुंबई के डोंगरी की इन्हीं तंग गलियों से चीखों की आवाज़ आ रही है। इस बीच जो बड़े सवाल हैं वो उठना लाज़मी हो जाते हैं… सवाल ये…
इमारतें धड़ाम, प्रशासन नाकाम
100 साल पुरानी बिल्डिंग को समय रहते खाली क्यों नहीं करवाया गया ?
चश्मदीद बताते हैं बिल्डिंग जर्जर थी, तो सर्वेक्षण में ये बात सामने क्यों नहीं आई ?
बिल्डिंग में रहने वाली करीब 8 से 10 परिवारों को कहीं विस्थापित कियों नहीं किया गया ?
हादसे का शिकार बिल्डिंग BSB डेवलपर्स की है, इसे 2012 में NOC कैसे दे दी गई ?
MHADA के मुताबिक ये बिल्डिंग खतरनाक बिल्डिंगों में शामिल ही नहीं थी
इतनी खतरनाक बिल्डिंग को जर्जर बिल्डिंगों की लिस्ट में क्यों शामिल नहीं किया गया ?
इन तमाम सवालों के बीच अब राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जांच का भरोसा दे रहे हैं। CM का कहना है कि ये 100 साल पुरानी बिल्डिंग थी। वहां के निवासियों को इस बिल्डिंग के रिडेवलेप होने की परमिशन मिली थी। लेकिन अब हमारा फोकस लोगों को बचाने का है। लेकिन सीएम साहब रिडेवलप होने के पहले गंभीर हादसा हो चुका है और इसका जिम्मेदार कौन है।
मुंबई के डोंगरी में हुए इस दर्दनाक हादसे ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कलई खोलकर रख दी है। तंग गलियों में यहां मशीनों को पहुंचाने की जगह तक नहीं है, बड़ा सवाल ये भी है कि देश को न्यू इंडिया बनाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन औद्योगिक राजधानी में ही कंट्री प्लानिंग की स्थिति ऐसी है कि आग लगे तो दमकर न पहुंच सके और बिल्डिंग गिरे तो बचाव के लिए मशीने न पहुंच सकें, हादसों के मामले में मुंबई कब सबक लेगी पता नहीं आंकड़ों की बात करें तो….
मुंबई में हादसों का ‘रिकॉर्ड’
2 जुलाई 2019 – मलाड में बारिश की वजह से दीवार गिरी, 25 की मौत
1 जुलाई 2019 – कल्याण में स्कूल की दीवार गिरी, 3 लोगों की मौत
15 मार्च 2019 – CST स्टेशन के पास गिरा FOB गिरा, 6 की मौत
23 दिसंबर 2018 – गोरेगांव में निर्माणाधीन इमारत गिरी, 3 की मौत
24 जुलाई 2018 – भिवंडी में इमारत गिरी, 1 की मौत
3 जुलाई 2018 – रेलवे के ब्रिज का हिस्सा गिरा, 6 गंभीर घायल
31 अगस्त 2017 – भायखला में इमारत गिरी, 32 की मौत
ये आंकड़े तो केवल बिल्डिंग, पुल और दीवार गिरने के हैं, जबकि हाल ही में मुंबई में लगातार बारिश के कारण पानी में फंसने, गटर में बह जाने और गाड़ी में फंस जाने की वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है, लगातार हो रहीं मौतों को लेकर मायानगरी का प्रशासन सवालों के घेरे में हैं, लेकिन जवाब केवल एक है। जांच हो रही है और कब तक होती रहेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।