जनतंत्र डेस्क Arunachal: कभी अरुणाचल तो कभी लेह लद्दाख के रास्ते घुसपैठ की कोशिश करने वाले चीन की माकूल हरकतों का जवाब देने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है। अब भारतीय सेना को एक और शक्ति मिलने वाली है। अरुणाचल के नुरागांग में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर सेला सुरंग तैयार हो रही है। जल्द ही इस सुरंग का काम पूरा हो जाएगा। इस सुरंग के पूरा होते ही भारतीय सेना का तवांग तक पहुंचना और हथियारों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी। इस सुरंग को पूरे साल तवांग को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Arunachal: इंजिनियरिंग का शानदार नमूना
इस सुरंग को प्रोजेक्ट BCT यानि बालीपारा-चारदुआर-तवांग के तहत तैयार किया जा रहा है। बालीपारा-चारदुआर-तवांग (BCT) रोड तैयार होने के साथ ही रेकॉर्ड दर्ज कर लेगी। प्रॉजेक्ट डायरेक्टर परीक्षित मेहरा के अनुसार, 13 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर यह दुनिया की सबसे लंबी दो लेन की सुरंग होगी। जो चट्टान काटकर बनाई जा रही है। जिस जगह नुरागांग में यह सुरंग बन रही है। वहां ठंड के समय में भारी बर्फबारी होने सैन्य बल की आवाजाही में समस्या होती थी। सेला सुंरग बनने के बाद सैन्य बलों को कोई दिक्कत नहीं होगी। BCT रोड पर सभी मौसम के हिसाब से उपयुक्त सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। जिसकी लागत तकरीबन 700 करोड़ रूपए है।
Arunachal: समय से पहले ही तैयार होने की उम्मीद
सेला सुरंग के लिए अगस्त 2022 तक की डेडलाइन दी गई है, लेकिन माना जा रहा है मार्च 2022 तक ही सुरंग तैयार हो जाएगी। प्रॉजेक्ट डायरेक्टर की मानें तो सुरंग का काम अपने फाइनल स्टेज में है। यह सुरंग 317 किलोमीटर लंबी है। बीसीटी रोड पर सेला सुरंग के निर्माण के लिए अगले साल अगस्त 2022 तक की डेडलाइन दी गई है। लेकिन इसके जून तक ही पूरा हो जाने की उम्मीद है। तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों के बीच 1.55 किलोमीटर और 980 मीटर की दो सुरंग बनने से दूरी और समय में बचत होगी। दोनों सुरंग 1.2 किमी की सड़क से जुड़े रहेंगे।
ये कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि, यह सुरंग देश की एक उपलब्धि है। यह प्रोजेक्ट और भी अहम हो जाता है क्योंकि, लद्दाख में चीनी सेना की तरफ से अतिक्रमण किया जाता है। इस लिहाज से यह सुरंग काफी महत्वपूर्ण है।