जनतंत्र डेस्क ,नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा से पहले मोदी सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेल दिया। केंद्र सरकार ने विवादित तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ये बड़ा ऐलान किया और इसके लिए उन्होंने प्रकाश पर्व का दिन चुना। पीएम ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में यह बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार ये कानून काश्तकारों के हित में नेक नीयत से ये कानून लाई थी, लेकिन हम कुछ किसानों को समझाने में नाकाम रहे।
एक साल पहले मोदी सरकार तीनों कृषि कानून लेकर आई थी। तभी से इन कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में किसान एक साल से ज्यादा वक्त से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। बारिश, धूप, कड़ाके की ठंड किसानों मे सब सही। तब सरकार कृषि कानून वापस लेने को तैयार नहीं थी। लेकिन अब चुनावों से पहले पीएम मोदी ने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी।
नवंबर में ही पूरी होगी संवैधानिक प्रक्रिया
राष्ट्र के नाम दिए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, हम पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे। बातचीत भी होती रही। कानून के जिन प्रावधानों पर उन्हें ऐतराज था उन्हें सरकार बदलने को तैयार हो गई। साथियों आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है यह समय किसी को दोष देने का नही है। मैं आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया है। इसी महीने हम इसे वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर देंगे।
पीएम ने आगे कहा, हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, ख़ासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव ग़रीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।‘’
”हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे।”
राकेश टिकैट ने क्या कहा
तीनों कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने पीएम मोदी की घोषणा पर ट्वीट कर कहा, ”आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।” वहीं, किसानों का कहना है कि जब तक संसद में कानून रद्द नहीं होगा किसान डटे रहेंगे।