नई दिल्ली : कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए राजधानी समेत पूरे देश में डॉक्टर रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाने के लिए लिख रहे हैं। आलम यह है कि अधिकतर मरीजों को यहीं दवा लिखने से इसकी जबरदस्त किल्लत हो गई है। दवा की कालाबाजारी तक शुरू हो गई है। अपनों की जान बचाने के लिए लोग हजारों रुपये तक खर्च करने को तैयार हो जा रहे हैं, जिनको यह दवा मिल जा रही है वो खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं, लेकिन कई एक्सपर्ट की राय इससे बिलकुल जुदा है। उनका कहना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन का कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में कोई फायदा नहीं होता है।
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। सूर्यकांत का कहना है कि वो इस इंजेक्शन के पूरी तरह खिलाफ हैं बल्कि इसकी जगह डेक्सामेथासोन एक सस्ता और बेहतर विकल्प है। डॉक्टर्स को इसे लिखना बंद करना चाहिए और लोगों को इसके पीछे भागने से बचाना चाहिए।
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लोगों को आ रही समस्याएं
जानकीपुरम निवासी कौस्तुब के पिता कोरोना संक्रमित हुए तो डॉक्टर ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन लिख दिया। तमाम कोशिशों के बाद कई गुना दाम चुकाने के बाद उनको इंजेक्शन मिला। उनके पिता अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।
कई दिनों बाद मिला इंजेक्शन
अलीगंज निवासी मधुर की मां कोरोना संक्रमित हैं। एक निजी अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। डॉक्टर ने इलाज के लिए रेमडेसिवीर लिखा तो कई दिनों के बाद दाम से कई गुना चुकाने के बाद उनको दवा इंजेक्शन मिला। इस दौरान उनको काफी मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी।