नई दिल्लीः Corona Vaccine -देश में कोरोना मामलों को देखते हुए टीकाकरण अभियान भी तेजी से चल रहा है. सरकार ने प्राइवेट सेंटर्स को भी वैक्सीन बेचने की अनुमति दे दी है. टीकाकरण के लिए को-विन ऐप पर 28 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा. देश में इस समय दो वैक्सीन, कोविशील्ड और कोवैक्सीन ही उपलब्ध हैं. ऐसे में टिका लगवाने से पहले लोग जानना चाहते हैं की इन दोनों वैक्सीन में क्या अंतर है। आइए जानते है विस्तार से-
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Corona Vaccine : कोवैक्सीन
कोवैक्सीन एक निष्क्रिय वैक्सीन है, जिसका अर्थ है कि यह मृत कोरोना वायरस से बनी है. इसको भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने विकसित किया है. इसमें इम्युन सेल्स कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए इम्युन सिस्टम को प्रोम्पट करती हैं।
ऐसे करती है काम
दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, डिलीवरी के समय वैक्सीन SARS-CoV-2 कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करता है. एंटीबॉडी वायरल प्रोटीन से जुड़ी होती हैं, जैसे कि स्पाइक प्रोटीन जो इसकी सतह को स्टड करते हैं. कोवैक्सीन ने दूसरे अंतरिम एनालिसिस में 78 प्रतिशत प्रभावकारिता और गंभीर कोविड -19 डिजीज के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभाव दिखाया है।
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कोविशील्ड (covishield)
बता दें की कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है. इस वैक्सीन को एडिनोवायरस को निष्क्रिय करके विकसित किया गया है. पहले इसमें साधारण जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस के ऊपर SARS-CoV-2 की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर तैयार किया गया है।
कोविशिल्ड की प्रभावकारिता
जब किसी मरीज को वैक्सीन की एक डोज मिलती है, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू करने और किसी भी कोरोना वायरस संक्रमण पर अटैक करने के लिए तैयार करती है. बता दें की कोविशिल्ड की कुल प्रभावकारिता 70 प्रतिशत है. हालांकि यह 90 प्रतिशत से अधिक हो सकता है, जब एक महीने बाद फुल डोज दे दी जाती है।
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