जनतंत्र डेस्क Manjamma Jogati: ट्रांसजेंडर फोक डांसर मंजम्मा जोगती को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जब मंजम्मा अवॉर्ड लेने गईं तो उन्होंने अनोखे अंदाज में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अभिवादन किया। जो सबको भा गया, दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी। मंजम्मा के जीवन का सफर कांटों भरा रहा, लेकिन वे सभी कठिनाइयों और मुश्किलों से लड़ती रहीं।
मंजम्मा जोगती का जन्म कर्नाटक के बेल्लारी जिले के कल्लुकंब गांव में हुआ था। जन्म के बाद उन्हें मंजूनाथ नाम दिया गया। मंजूनाथ शेट्टी बचपन से ही हाव-भाव और रहन सहन में लड़कियों जैसे थे। लड़कियों के साथ रहना और डांस करना उन्हें पंसद था। मंजूनाथ के इस रूप को देखकर उनके घरवाले हैरान थे। उनको लगा कि उस पर माता आ गई तो वे मंजूनाथ को लेकर पुजारी और डॉक्टर के पास गए। इतना ही नहीं उन्हें खंभे से बांधकर खूब पीटा।
ऐसे बनी मंजम्मा जोगती
डॉक्टर और पुजारी को दिखाने के बाद घरवालों को यकीन हो गया कि मंजूनाथ ट्रांसजेंडर हैं। जिसके बाद मां-बाप मंजूनाथ को 1975 में होस्पत के पास हुलीगेयम्मा मंदिर ले गए। यहां जोगप्पा बनाने की दीक्षा दी जाती है। जोगप्पा या जोगती, वह ट्रांस पर्सन होते हैं, जो खुद को देवी येलम्मा से विवाहित मानते हैं। ये देवी के भक्त होते हैं। दीक्षा के बाद मंजूनाथ को मंगलसूत्र, स्कर्ट- ब्लाउज और चूड़ियां दी गईं। इस तरह वे मंजूनाथ से मजम्मा बन गई।
भीख मांगी, गैंगरेप हुआ
एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए मंजम्मा ने सबसे दर्दभरे लम्हे के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि, ट्रांसजेंडर होने के बाद वे घरवालों के लिए मर चुकीं थी। इससे आहत होकर उन्होंने घर छोड़ दिया। घर से निकलने के बाद उनके पास खाने और रहने का कोई ठिकाना नहीं था। मंजम्मा भीख मांगकर गुजारा करने लगीं। उसी दौरान उनका छह लोगों ने रेप किया। तब मंजम्मा ने सोच लिया था, वे अब नहीं जिएंगी।
इस बीच एक दिन उन्होंने सड़क पर जोगती नृत्य करते एक बाप-बेटे को देखा। जिसमें पिता गीत गाते और बेटा नाचता था। बेटा सिर्फ नाचने के साथ साथ स्टील के घड़े को सिर पर रखकर, उसे बिना गिराए अपनी कला का प्रदर्शन भी कर रहा था। वह जमीन पर गिरे सिक्कों को अपने मुंह से उठा भी रहा था। यह कला जोगती नृत्य कहलाती है। दूर खड़ीं ये कला देख रही मंजम्मा ने लड़के के पिता से यह नृत्य सीखने का फैसला लिया।
जोगती नृत्य जोगप्पा लोगों का लोक नृत्य है। इस पारंपरिक लोक नृत्य को आमतौर पर ‘ट्रांस महिलाएं ही करती हैं। जोगती नृत्य से मंजम्मा के लगाव को देखते हुए उनके साथी ने उन्हें एक लोक कलाकार से मिलवाया। जो इस कला में पारंगत थे। फिर भी मंजम्मा उनके सामने बिना डरे नाचीं। जिसके बाद मंजम्मा को नाटकों में छोटे-छोटे रोल के लिए बुलाया जाने लगा। धीरे धीरे वे लीड रोल करने लगीं।
जोगती नृत्य की पहचान मंजम्मा
एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए मंजम्मा कहती हैं, ‘सच कहूं तो मैंने ये नृत्य इसलिए नहीं सीखा क्योंकि मेरा बहुत मन था। मैंने ये नृत्य इसलिए सीखा ताकि अपनी भूख से लड़ सकूं। इससे अपनी जिंदगी चला सकूं। आज मंजम्मा जोगती नृत्य की पहचान हैं। उन्होंने ही इस नृत्य को आम लोगों में पहचान दिलाई।
जब कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष बनीं
साल 2006 में मंजम्मा जोगती को कर्नाटक जनपद अकादमी अवॉर्ड दिया गया। फिर साल 2010 में कर्नाटक राज्योत्सव सम्मान। आज वह ‘कर्नाटक जनपद अकादमी’ की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष हैं। अब तक इस पद पर सिर्फ पुरुष ही चुने जाते थे।
मंजम्मा जोगती की आत्मकथा ‘नाडुवे सुलिवा हेन्नु’ में ट्रांसजेंडर्स की कहानी के साथ जोगती नृत्य के बारे में ढेरों जानकारियां हैं। कर्नाटक में वह इतनी लोकप्रिय हैं कि उनकी बायोग्राफी हावेरी जिले के स्कूलों और कर्नाटक लोक विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है।