नई दिल्ली- एप्लीकेशन वॉट्सऐप के जरिए भारत के कुछ पत्रकारों और हस्तियों की जासूसी की खबर ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। वॉट्सऐप ने इस बात की पुष्टि की है कि इजरायल की साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकारों को स्पाइवेयर के जरिये टारगेट कर उनकी जासूसी की गई।
Pegasus नाम के स्पाईवेयर से भारतीय पत्रकारों पर निशाना
गुरुवार को जब ये मामला सामने आया तो विपक्ष ने एक बार फिर मोदी सरकार को निशाने पर लिया, लेकिन गृह मंत्रालय ने कहा है कि ये सिर्फ सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। इजरायली कंपनी के द्वारा Pegasus नाम के स्पाईवेयर से भारतीय पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जिसमें 2 दर्जन से ज्यादा पत्रकार, वकील और हस्तियां शामिल हैं। अगर दुनियाभर में इस आंकड़े को देखें तो ये नंबर करीब 1400 तक जाता है।
अब Pegasus के दस्तावेज जो सामने आ रहे हैं, उससे ये खुलासा हो रहा है कि ये जासूसी सिर्फ वॉट्सएप तक सीमित नहीं है। इन दस्तावेज़ों में दावा किया गया है कि Pegasus स्पाइवेर का खेल वॉट्सएप के अलावा सेल डाटा, स्काइप, टेलिग्राम, वाइबर, एसएमएस, फोटो, ईमेल, कॉन्टैक्ट, लोकेशन, फाइल्स, हिस्ट्री ब्राउज़िंग और माइक-कैमरा तक को अपने कब्जे में ले सकता है। इस स्पाइवेर के द्वारा टारगेट किए गए फोन नंबर के कैमरा, माइक के डाटा को एक साथ लिया जा सकता है।
10 Activist की जासूसी हुई
बताया गया हैं कि इसके लिए सिर्फ स्पाइवेर को इन्स्टॉल करने की जरूरत है, जो कि सिर्फ फ्लैश एस.एम.एस से भी हो सकता है। अभी तक जो रिपोर्ट्स सामने आई हैं, उनमें भारत के 10 एक्टिविस्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि वॉट्सएप की ओर से उन्हें बताया गया है कि उनकी जासूसी हुई थी। इसमें बेला भाटिया, भीमा कोरेगांव केस में वकील निहाल सिंह राठौड़ ने वॉट्सएप से अलर्ट की बात स्वीकारी है, इनके अलावा जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की शालिनी गेरा, दलित एक्टिविस्ट डिग्री प्रसाद चौहान, आनंद तेलतुम्बडे, शुभ्रांशु चौधरी, दिल्ली के आशीष गुप्ता, दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सरोज गिरी, पत्रकार सिद्धांत सिब्बल और राजीव शर्मा के नाम भी शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने वॉट्सएप से 4 नवंबर तक इस मामले में सफाई देने को कहा
हालांकि, वॉट्सएप ने उन नामों की पुष्टि करने से इनकार किया जो निशाने पर थे, लेकिन इन सभी को सूचित किया गया। वहीं इस मामले के सामने आने के बाद से ही मोदी सरकार एक्शन में आ गई है। केंद्र सरकार ने वॉट्सएप से 4 नवंबर तक इस मामले में सफाई देने को कहा है। केंद्रीय IT मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार इस मामले में गंभीर है और वॉट्सएप से इस बारे में जवाब मांगा गया है।
भारत सरकार लोगों की प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां प्रोटोकोल के तहत काम करती हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी शामिल हैं। वहीं केंद्र मंत्रालय का कहना हैं कि मीडिया में वॉट्सएप के जरिए जासूसी की जो खबरें चल रही हैं, वह भारत सरकार की छवि खराब करने की कोशिश है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अभिषेक शर्मा का कहना है कि इस मामले में आम आदमी ज्यादा कुछ नहीं कर सकता है।
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि हैकिंग की तकनीक इतनी ज्यादा एडवांस है कि वॉट्सएप इसमें कुछ नहीं कर पाया। लेकिन वॉट्सएप को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि आगे से ऐसा कुछ ना हो। उन्होंने सलाह दी कि लोगों को एप्लिकेशन को समय दर समय अपडेट करते रहना चाहिए।