जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: जर्मनी की एक अदालत ने एक महिला को अपने पार्टनर के कॉन्डोम में बिना बताये छेद करने के कारण उसे सजा सुनाई है। यह जर्मन कानून में एक ऐतिहासिक मामला है। पहली बार ऐसे किसी केस में महिला को सजा दी गई है। सजा भी एक महिला जज ने ही सुनाई है।
जर्मन मीडिया के मुताबिक, महिला को यौन दुर्व्यवहार और “कपट” का दोषी मानते हुए छह महीने जेल की सजा सुनाई गई है। महिला को जानबूझ कर अपने पार्टनर के कॉन्डोम को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना गया है।
क्या है मामला
जर्मन मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है। जिसके मुताबिक, यह मामला एक 39 साल की महिला और उसके 42 साल के पार्टनर से जुड़ा है। दोनों का रिलेशन “फ्रेंड्स विद बेनेफिट्स” जैसा था। दोनों की मुलाकात 2021 में किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हुई और फिर इनके बीच अनौपचारिक सेक्स का एक रिश्ता बन गया।
महिला के मन में अपने पार्टनर के प्रति गहरा प्यार पैदा हो गया लेकिन वो जानती थी कि उसका पार्टनर इस रिश्ते में किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं चाहता है। ऐसे में महिला ने जान बूझ कर और उसे बताये बगैर उसके कॉन्डोम में छेद कर दिये। क्योंकि वह गर्भवती होना चाहती थी हालांकि ऐसा नहीं हुआ।

दोनों में शारीरिक संबंध बनने के बाद महिला ने अपने पार्टनर को मैसेज भी किया कि उसे लगता है वो गर्भवती है। इसी दौरान महिला ने पार्टनर के कंडोम में छेद करने की बात भी बताई। इसके बाद उसके पार्टनर ने उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया। महिला ने भी यह स्वीकार किया कि वह अपने पार्टनर के साथ चालाकी से काम निकालने की कोशिश कर रही थी।
अदालत के सामने थी ये चुनौती
मामला कोर्ट में पहुंचा और अभियोजक और अदालत इस बात पर सहमत हो गए थे कि इस मामले में अपराध तो हुआ है लेकिन जज यह तय नहीं कर पा रहे थे कि महिला के खिलाफ आखिर उसे किस आरोप में दोषी माना जाए।
मामले पर सुनवाई करते हुए जज आस्ट्रिड सालेव्स्की ने कोर्ट में कहा, “हमने यहां आज कानून का इतिहास लिखा है।” जजों ने इस मामले में कानून की समीक्षा करने के बाद इसे यौन दुर्व्यहार का मामला माना और महिला को “कपट” का दोषी माना।
“कपट” के आरोप आमतौर पर तब लगते हैं जब कोई पुरुष सेक्स के दौरान चुपके से कॉन्डोम निकाल देता है और उसके पार्टनर को यह बात पता नहीं चलती। इसी तरह के मामले में महिला को दोषी मानते हुए उसे सजा सुनाई गई।
ना का मतलब ना
जज सालेव्सकी ने अपने फैसले में कहा, “यह प्रावधान दूसरे पक्ष पर भी लागू होता है। कन्डोम को बिना पुरुष की जानकारी या फिर सहमति के बेकार कर दिया गया।” सालेव्स्की का कहना है, “ना का मतलब यहां भी ना होगा।”
अदालत ने महिला को निलंबित सजा सुनाई है यानी उसे जेल तो नहीं जाना होगा लेकिन उसे एक सजायाफ्ता मुजरिम माना जायेगा और हो सकता है कि उसकी नौकरी या दूसरे कुछ मामलों में दिक्कत का सामना करना पड़े।