जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एक शख्स ने अपनी पत्नी के लिए ताजमहल जैसा घर बनवा दिया। जिसे देख के हर कोई यही कह रहा है ये तो बिल्कुल ताजमहल ही है। यह घर बेहद आलीशान है। घर को इंडियन कंस्ट्रक्टिंग अल्ट्राटेक आउट स्टैंडिंग स्ट्रक्चर ऑफ मध्यप्रदेश का अवॉर्ड भी मिल चुका है। सोशल मीडिया पर हर कहीं इस घर की चर्चा हो रही है।
दरअसल, बुरहानपुर के स्कूल संचालक आनंद प्रकाश चौकसे ने अपना घर बिल्कुल ताजमहल की तरह बनवाया है। ये घर उन्होंने अपनी पत्नी को तोहफे के रूप में दिया है। 3 साल में बनकर तैयार हुए इस ‘ताज’ घर 4 बेडरूम हैं। जिसमें 2 बेडरूम नीचे और 2 ऊपर हैं। इसके अलावा एक बड़ा हॉल, किचन, लाइब्रेरी और मेडिटेशन रूम भी है। आनंद चौकसी कहते हैं। इस घर को बनाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन आनंद के अटूट विश्वास के कारण ताजमहल जैसा मकान बनाने में कामयाबी मिल गई।
मुमताज और बुरहानपुर का वास्ता
दुनिया के आठ अजूबो में शुमार ताजमहल आगरा में है। जिसे मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए बनवाया था। पहले ताजमहल बुरहानपुर में ही बनने वाला था। इसकी वजह ये थी कि 14वें प्रसव के दौरान बेगम मुमताज की मौत बुरहानपुर में ही हुई थी। 6 महीने तक मुमताज का शव बुरहानपुर के आहुखाना में सुरक्षित रखा गया। शाहजहां बुरहानपुर से गुजरने वाली ताप्ती नदी पर ताजमहल बनवाना चाहते थे। लेकिन किसी कारण वे ऐसा नहीं कर पाए।
आनंद चौकसे कहते हैं कि उनके मन में इस बात का मलाल था कि बुरहानपुर में ताजमहल क्यों नहीं बन सका, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी को शाहजहां की तरह ताजमहल गिफ्ट करने के बारे में ठान लिया। इस घर को बनाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन आनंद के अटूट विश्वास के कारण ताजमहल जैसा मकान बनाने में कामयाबी मिल गई।
घर बनाने से पहले आगरा जाकर ताजमहल देखा
आनंद चौकसे ने घर को ताज जैसा बनाने के लिए पहले आगरा जाकर महल को देखा। फिर कंसल्टिंग इंजीनियर प्रवीण चौकसे को कहा कि उन्हें ताजमहल जैसा मकान चाहिए। ये सुनने के बाद इंजीनियर प्रवीन चौकसे भी ताजमहल देखने आगरा गए।
इंजीनियरों के लिए भी था चैलेंजिंग
दुनिया के आठ अजूबों में शुमार ताजमहल जैसा घर बनाना इंजीनियर्स के लिए भी आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने ठान ली थी, इसके लिए इंजीनियरों ने इंटरनेट के जरिए ताजमहल की 3डी इमेज निकाली। फिर इसे बनाना शुरू किया। 3 साल में घर बनकर तैयार हुआ।
घर का ज्यादातर निर्माण स्थानीय मिस्त्रियों से कराया गया है। घर के अंदर की गई नक्काशी के लिए बंगाल और इंदौर के कलाकारों से मदद ली गई है।
घर की फ्लोरिंग राजस्थान के मकराना के कारीगरों से कराई गई है। बाकी काम आगरा के कारीगरों से कराया गया है। फर्नीचर का काम सूरत और मुंबई के कारीगरों ने किया।