नई दिल्ली : दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश मौजूदा समय में कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ जहाँ अमेरिका में कोरोना वायरस का कहर देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ अश्वेत नागरिक की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद अमेरिका की सड़कों पर उग्र प्रदर्शन (America Protest) का वीभत्स रूप देखने को मिल रहा है।
उग्र प्रदर्शनकारी दुकानों को आग के हवाले कर रहे हैं और जमकर लूटपाट मचा रहे हैं। कोरोना के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था पहले ही धड़ाम हो चुकी है, वही अब इस तरह के उग्र विरोध प्रदर्शन ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है। जिस तरह के हालात अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि हालातों के आगे ट्रम्प प्रशासन ने घुटने टेक दिए हैं।
America Protest : नस्लीय हिंसा में तार-तार होती शांति व्यवस्था
अमेरिका में अश्वेतों और श्वेतों के बीच जंग की कहानी नई नहीं है, बल्कि दशकों पुरानी है। अमेरिका ने भले ही हर क्षेत्र में शानदार काम किया हो और दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश होने का खिताब अपने नाम किया हो, लेकिन देश में काले-गोर के भेद को खत्म करने में अमेरिकी प्रशासन अब तक सफल नहीं हो पाया है। बीते 60 सालों में ऐसे कई मौके आये जब श्वेतों के आतंक से तंग आकर अश्वेत सड़कों पर उतरे और अमेरिका की शांति व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया।
आइये जानते हैं अब तक क्या-क्या हुआ :
- अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अमेरिका में उग्र विरोध प्रदर्शन का दौर जारी। बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे लोग कर रहे हैं प्रदर्शन।
- अमेरिका के कई शहरों में कर्फ्यू लागु, लेकिन नहीं थम रहा प्रदर्शनों का दौर।
- ट्रम्प सरकार की चेतावनी और पुलिस प्रशासन की सख्ती के बावजूद हिंसा की आग में जल रहा पूरा अमेरिका।
- पुलिस के घुटने के नीचे दबे जॉर्ज फ्लॉयड की दम घुटने से हुई थी मौत।
- सोशल मीडिया पर वायरल देख उमड़ी आक्रोश की लहर। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद उग्र हुई भीड़
- अमेरिका में भयावह स्थिति, विरोध प्रदर्शन के दौरान आगज़नी और लूटपाट की घटनाएं भी चरम पर।
- व्हाइट तक पहुंची प्रदर्शन की आंच, राष्ट्रपति ट्रम्प को बंकर में छिप कर बचानी पड़ी जान।
- जिस बनकर में छिपे ट्रम्प, उसपर परमाणु हमले का असर भी बेअसर।
- युद्ध या आपातकाल के समय में इस तरह उपयोग में लाया जाता है बंकर । उग्र भीड़ को देखते हुए बंकर में छिप कर ट्रम्प को बचानी पड़ी जा।
सोमवार रात को विरोध प्रदर्शन के दौरान मिडटाउन मैनहट्टन में एक लोकप्रिय डिपार्टमेंटल स्टोर को प्रदर्शनकारियों ने लूटा। - सेंट लुइस में चार पुलिसकर्मी विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए घायल। 6 पुलिसकर्मियों पर भी क्रिमिनल केस दर्ज़
- 60 सालों से नस्लीय हिंसा का शिकार रहा है अमेरिका। काले गोर का भेदभाव पाटने में नाकाम रही है अमेरिकी प्रशासन।
- अश्वेतों को लेकर गैर जिम्मेदाराना रहा है अमेरिकी पुलिस का रवैया।
- रिपोर्ट के अनुसार छोटी छोटी बातों पर अश्वेतों को पुलिस करती है परेशान।
- कई बार अमेरिका की शांति व्यवस्था पुलिस की कार्यशैली के कारण हुई है ध्वस्त।
- अश्वेतों के गुस्से से उड़ी ट्रम्प प्रशासन की नींद
60 साल पुरानी है श्वेत बनाम अश्वेत की जंग
- साल 1965 में 11-17 अगस्त तक हुए थे दंगे, 34 लोगों की हुई थी मौत
- साल 1967 में 12-17 जुलाई तक हुए दंगे, 26 लोगों की मौत, 1,500 से ज्यादा लोग जख्मी
- 1968 में मार्टिन लूथर किंग की मौत के बाद भड़की हिंसा, 4 से लेकर 11 अप्रैल तक चले दंगों में 46 की मौत, 2,600 से ज्यादा घायल, सेना की लेनी पड़ी सहायता
- मई 1980 में भी भड़की थी हिंसा, मियामी लिबर्टी सिटी में अश्वेतों द्वारा की गई भारी हिंसा में 18 लोगों की हुई थी मौत
- साल 1992 के अप्रैल में लॉस एंजेलिस के दंगों में 59 लोगों की मौत
- साल 2001 के अप्रैल में अश्वेत युवक को पुलिस द्वारा मारे जाने (हत्या) के बाद फैली थी हिंसा, लगाना पड़ा था कर्फ्यू
- साल 2014 में फर्गुसन शहर आश्वत युवक की मौत के बाद हुई थी हिंसा, 9-19 अगस्त तक हुई हिंसा में हुआ था भारी नुकसान
- साल 2015 के अप्रैल में पुलिस हिरासत में हुई थी अश्वेत युवा फ्रेडी ग्रे की मौत – वीडियो वायरल होने के बाद फैला था तनाव – सरकार को लगानी पड़ी थी इमरजेंसी
- साल 2016 के सितम्बर में शारलोटे शहर में पुलिस फायरिंग में 43 साल के कीट लैमॉन्ट स्कॉट की मौत के बाद हुए दंगे, प्रशासन को हिंसा रोकने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना बुलानी पड़ी
- साल 2020 के मई में पुलिस कस्टडी में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद भड़की हिंसा जारी है