नई दिल्ली : भारत (India) से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine In India) की एक खेप अमेरिका पंहुच गई हैं। जिसे कहा जा रहा है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए काफी मददगार हैं।इस रोग से निपटने के लिए यह एक जड़ीबूटी साबित हुई है।
Hydroxychloroquine In India दूसरे देशों की मदद के लिए भारत ने भरी हाँ
बता दें कि बीते दिनों भारत ने मलेरिया-रोधी जैसी दवाइयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था,( Hydroxychloroquine In India) लेकिन अब लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया है, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति समेत कई देशों ने इस दवाई की मांग की थी जिसके बाद भारत सरकार ने निर्णय लिया और दूसरे देशों की मदद के लिए हाँ भर दी। भारत ने अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 35.82 लाख गोलियों के निर्यात को मंजूरी दी है ,इसके साथ दवा के निर्माण में आवश्यक 9 टन फार्मास्यूटिकल सामग्री और एपीआई भी भेजी है।
Supporting our partners in the fight against #Covid19. Consignment of hydroxichloroquine from India arrived at Newark airport today. pic.twitter.com/XZ6utQ6JHr
— Taranjit Singh Sandhu (@SandhuTaranjitS) April 11, 2020
भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप आज नेवार्क हवाई अड्डे पर पहुंची
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने ट्वीट किया, ‘‘कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हमारे सहयोगियों को हमारा पूरा सहयोग है, भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप आज नेवार्क हवाई अड्डे पर पहुंची.” ट्रम्प ने पिछले हफ्ते फोन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से अमेरिका के लिए मलेरिया-रोधी दवा के निर्यात को अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसके बाद भारत ने सात अप्रैल को इस दवा के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था, भारत विश्व में इस दवा का प्रमुख निर्माता है, जो पूरी दुनिया में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति का 70 प्रतिशत उत्पादन करता है।
अमेरिकी लोगों ने इस खेप के आगमन का स्वागत किया है
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कोविड महामारी से लड़ने के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की पहचान की है इसका न्यूयॉर्क में कोरोनावायरस के 1,500 से अधिक रोगियों पर परीक्षण किया जा रहा है, अमेरिकी लोगों ने इस खेप के आगमन का स्वागत किया है, न्यूयॉर्क के रहने वाले रियल स्टेट सलाहकार और ट्रम्प समर्थक अल मेसन ने कहा, ‘‘अमेरिका भारत की इस महान मानवीय सहायता को कभी नहीं भूलेगा। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं।