नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दो दिवसीय दौरे से अपने मुल्क वापस भारत लौट आए हैं। इस दौरे में प्रधानमंत्री ने रियाद में फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशियेटिव को संबोधित किया, पीएम की इस यात्रा के बीच भारत-सऊदी अरब में बड़े समझौते हुए।
वहीं भारत-सऊदी अरब का एक काउंसिल बनाया जाएगा, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेधारी पर काम करेगा। सऊदी अरब चौथा देश है, जिसके साथ भारत ने ये समझौता किया है। रणनीतिक साझेधारी के लिए बनी इस काउंसिल की अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री और प्रिंस सलमान करेंगे। वहीं इसके जरिए सरकार टू सरकार मैकेनिज्म बनाया जाएगा।
जो दोनों देशों के बीच विकास, रणनीतिक समझौतों को आगे बढ़ाएगा। सऊदी अरब से पहले भारत ने इस प्रकार का समझौता तीन और देशों के साथ किया है, जिसमें रूस और जापान भी शामिल हैं। वहीं आपको बता दे कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्ते काफी गहरे हैं, ऐसे में भारत का ये समझौता सऊदी अरब के साथ होना काफी अहमियत देता है।
इसके तहत दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुख एक टाइम के बाद मुलाकात करेंगे और कई मसलों पर ख़ास बात होगी। इस बड़े समझौते के अलावा दोनों देशों के बीच एनर्जी सिक्युरिटी, स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व को लेकर समझौते हुए। भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) और सऊदी अरब के बीच 2.5 मिलियन टन पेड्यूर स्टोरेज रखने का फैसला हुआ है।
सऊदी अरब के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर निवेश पर रहा। उन्होंने यहां कहा कि 2024 तक भारत रिफाइनिंग, पाइपलाइन, गैस टर्मिनल के क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट करना चाहता हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने सऊदी अरब से इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी इन्वेस्टमेंट बढ़ाने की बात कही। प्रधानमंत्री ने अपने दौरे में सऊदी अरब के किंग सलमान, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ द्विपक्षीय बात की। सऊदी अरब और भारत के बीच इस दौरे में कुल 12 बड़े समझौते हुए हैं।