जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: 34 साल के नागेंद्रन धर्मलिंगम भारतीय मूल के मलेशियाई नागरिक। जिन्हें 13 साल की लंबी कैद के बाद सिंगापुर की कोर्ट ने फांसी दे दी। बेटे को बचाने के लिए मां ने फांसी से पहले भी अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोशिश नाकाम रही और बेटा अगले दिन का सूरज नहीं देख पाया। दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने नागेंद्रन को बचाने की कोशिश की थी लेकिन बुधवार की सुबह नागेंद्रन के लिए आखिरी पल था।
डेथ जोन में जाकर भी कैसे जिंदा बचा एक शख्स
नागेंद्रन धर्मलिंगम मानसिक रूप से बीमार थे। इस कारण दुनियाभर से उनके लिए क्षमादान दिए जाने की मांग की जा रही थी। लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। उत्तरी मलेशिया से सिंगापुर आई धर्मलिंगम की मां ने मंगलवार को ‘कोर्ट ऑफ अपील’ के समक्ष अर्जी लगाई लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।
क्या था मामला
साल 2010 में धर्मलिंगम को नारकोटिक्स अधिकारियों ने एक जांच नाके पर नशीली दवा हेरोइन के साथ पकड़ा था। उनकी जांघ पर पुड़िया में 43 ग्राम हेरोइन की पुड़िया बांधकर छिपाई गई थी। इस मामले में उन पर आरोप साबित हुए और देश के ड्रग्स विरोधी कड़े कानूनों के तहत नवंबर 2010 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 12-13 सालों से नागेंद्रम अलग-अलग अदालतों में अपील कर इस सजा के खिलाफ लड़ रहे थे। उन्होंने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की भी अपील की लेकिन नाकाम रहे।
धर्मलिंगम ने पिछले साल राष्ट्राध्यक्ष से माफी की याचिका भी लगाई जो खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि धर्मलिंगम का आईक्यू 69 है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों के हिसाब से मानसिक विकलांगता माना जाता है। लेकिन कोर्ट ने फैसला दिया कि धर्मलिंगम को पता था वह क्या कर रहे हैं। इस आधार पर मौत की सजा बरकरार रखी गई। कोर्ट ने कहा कि धर्मलिंगम ने मिलने वाले इनाम के लालच में यह काम किया, इसलिए वह समाज के लिए एक खतरा है।
आखिरी इच्छा पूरी की गई
नागेंद्रन ने अदालत के फैसले को स्वीकार किया और एक अनुवादक के जरिए जजों से एक आखिरी इच्छा के रूप में अपने परिवार के साथ कुछ वक्त मांगा। नागेंद्रन ने कहा, “मैं आखिरी मिनटों में एक अनुरोध करना चाहता हूं। मैं अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिताना चाहता हूं। मैं ये अनुरोध इसलिए कर रहा हूं ताकि अपने परिजनों का हाथ पकड़ सकूं। यहीं अदालत में। यॉर ऑनर मैं अपने परिजनों का हाथ पकड़ना चाहता हूं। जेल में नहीं। क्या मुझे यहां उनके हाथ थामने की इजाजत है?”
अदालत ने नागेंद्रन का अनुरोध स्वीकार कर लिया। बाद में उसे अपने परिवार के साथ दो घंटे बिताने का मौका भी दिया गया लेकिन उस दौरान शारीरिक संपर्क की इजाजत नहीं थी। बाद में नागेंद्रन के भाई नवीन कुमार ने कहा कि बुधवार सुबह उसे फांसी दे दी गई। परिवार के मुताबिक नागेंद्रन का शव मलेशिया भेजा गया है जहां इपोह में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मानसिक रूप से विकलांग एक व्यक्ति को मौत की सजा दिए जाने को अमानवीय और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। खबरों के मुताबिक मलेशिया के प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब ने भी “सिर्फ मानवीय आधार पर” सजा पर रोक लगाने की अपील करता एक पत्र सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली साइन लूंग को लिखा था। सिंगापुर गया यूरोपीय संघ का एक प्रतिनिधिमंडल और नॉर्वे व स्विट्जरलैंड के दूतावास भी इस सजा पर रोक की अपील कर चुके थे।