उन्नाव- उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जय श्रीराम नहीं बोलने पर बच्चों को पीटने का मामला सामने आया है। खबरों के मुताबिक, यहां के राजयकीय इंटर कॉलेज(GIC) में क्रिकेट मैदान पर जय श्रीराम ना बोलने पर कुछ लोगों ने मदरसे के बच्चों की पिटाई कर दी। दऱअसल, कुछ लोगों ने एक मदरसे के बच्चों को ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने के लिए मजबूर किया, जब बच्चों ने नारे लगाने से इनकार किया तो उनके साथ मारपीट की गई और उनके कपड़े फाड़ दिए गए।
Umesh Chandra Tyagi, Circle Officer, City Unnao: Three children of Jama Masjid madarsa got injured during a clash between two groups on cricket ground in Government Inter College where these children had gone to play cricket. Case registered. Investigation underway.” (11.07.2019) pic.twitter.com/UWKO84ePPc
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 12, 2019
‘जय श्रीराम’ नहीं बोलने पर मदरसे के छात्रों की पिटाई
बता दें कि इस घटना में 3 बच्चे बुरी तरह घायल हो गए। मामले में पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद से कुछ हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। वहीं, इस घटना पर उन्नाव के एक पुलिसधिकारी ने कहा कि राजयकीय इंटर कॉलेज में क्रिकेट मैदान पर दो समूहों के बीच झड़प हुई है। झड़प के दौरान जामा मस्जिद मदरसे के तीन बच्चे घायल हो गए। मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच चल रही है।
मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए कानून ड्राफ्ट तैयार
वहीं, इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश कानून आयोग ने मॉब लिंचिंग के दोषियों को कड़ी सजा के लिए एक कानून ड्राफ्ट तैयार किया है। आयोग ने इस अपराध के लिए 7 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का सुझाव दिया है। यूपी लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस AN मित्तल ने मॉब लिंचिंग की रिपोर्ट के साथ कानून ड्राफ्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा है। 128 पेज की रिपोर्ट में राज्य में लिंचिंग के कई मामलों का जिक्र किया गया है।
भीड़तंत्र के निशाने पर पुलिस भी
इसके साथ ही इस रिपोर्ट में 2018 में सुप्रीम कोर्ट की सिफारिशों के आधार पर कानून को तत्काल लागू करने का सुझाव दिया गया है। नए कानून के तहत पुलिस अधिकारियों और जिला अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि ये अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी ना कर पाएं तो, ऐसी स्थिति में उनकी सजा का प्रावधान भी कानून में हो। उत्तर प्रदेश कानून आयोग के अध्यक्ष का मानना है कि भीड़तंत्र के निशाने पर अब पुलिस भी है। उन्होंने कहा है कि ”भीड़तंत्र की उन्मादी हिंसा के मामले फर्रूखाबाद, उन्नाव, कानपुर, हापुड़ और मुजफ्फरनगर में भी सामने आए हैं। उन्मादी हिंसा के मामलों में पुलिस भी निशाने पर रहती है।
अलग कानून बने
आयोग ने कहा कि मौजूदा कानून लिंचिंग से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उसने जोर देकर कहा है कि इन मामलों से निपटने के लिए एक अलग कानून होना चाहिए। सुझाव के मुताबिक, नए कानून को उत्तर प्रदेश मॉब लिंचिंग निरोध अधिनियम कहा जा सकता है।