नई दिल्ली: आबू धावी ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। जिसमें लोगों की न्यायालय तक पहुंच बढ़ाने के लिए हिंदी को न्यायालय की तीसरी आधिकारिक भाषा बनाया गया है। इससे पहले अरबी अंग्रेजी न्यायपालिका की आधिकारिक भाषाएं थीं।
अबू धाबी के न्याय विभाग (एडीजेडी) ने शनिवार को कहा कि उसने श्रम मामलों में अरबी और अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा को शामिल करके अदालतों के समक्ष दावों के बयान बेहतर हो सके इसके खातिर भाषा के माध्यम का विस्तार कर दिया है।
अगर इस पहेल की बात की जाए और समझने का कोशिश की जाए कि आखिर अबू धाबी ने ऐसा कदम क्यों उठाया है तो पता चलता है कि वहां एक बहुत बड़ी तादाद में भारतीय मजदूर रहते हैं और इस पहल का मकसद हिंदी भाषी लोगों को मुकदमे की प्रक्रिया, उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सीखने में मदद करना है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात की आबादी का करीब दो तिहाई हिस्सा विदेशों के प्रवासी लोग हैं।
अगर संयुक्त अरब अमीरत में भारतीयों की मौजूदगी की बात की जाए तो पता चलता है कि यह जनसंख्या संयुक्त अरब अमीरात की कुल आबादी का 30 फीसदी है। बता दें कि यूएई में भारतीयों की आबादी 26 लाख के करीब है।