बस राजनीति- राजस्थान सरकार का आरोप, कोटा आई यूपी की बसों में थे गलत नंबर
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच प्रवासी मज़दूरों को लेकर चल रही राजनीती थमने का नाम नहीं ले रही है. इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने बीजेपी के खिलाफ निशानेबाज़ी साधते हुए कहा की यूपी सरकार ने जो बसों की लिस्ट राजस्थान भेजी थी. असल में उस लिस्ट में मोटरसाइकिल और ऑटो रिक्शा के नंबर थे ना की कांग्रेस की दी हुई लिस्ट में. दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस पार्टी पर इस बात का आरोप लगाया है था की उनके द्वारा दी गयी बसों में ऑटो रिक्शा, एम्बुलेंस और मोटरसाइकिल के नंबर हैं ना की बसों के. बता दें की उत्तर प्रदेश सरकार और कांग्रेस की बीच चल रही इस बस राजनीती में रायबरैली की विधायक अदिति सिंह अपनी पार्टी पर खूब बरसी थी. उनके मुताबिक कांग्रेस पार्टी प्रवासी मज़दूरों के साथ मज़ाक कर रही है.
बस राजनीति में राजस्थान सरकार ने लगाया छल का आरोप-
बसों की राजनीती में राजस्थान सरकार ने भी कूदने का फैसला किया है. इसी सन्दर्भ में राजस्थान सरकार ने कहा की उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आयी बसों की लिस्ट में मोटरसाइकिल, ऑटो रिक्शा के रजिस्टर्ड नंबर थे. असल में कांग्रेस ने जब प्रवासी मज़दूरों के लिए बसों को चलाने की मांग की तो. इस मांग को उत्तर प्रदेश सरकार ने मानते हुए कहा की आप अपनी बसों की लिस्ट हमें पूरे कागज़ात के साथ भिजवाएं. लेकिन कोंगर्स के द्वारा ये मांग तक तरह से पूरी नहीं की गयी थी. उन्होंने अपनी बसों की लिस्ट में एम्बुलैंस, मोटरसाइकिल और ऑटो रिक्शा के नंबर भेज दिए. जिसके बाद बीजेपी के प्रवक्ता संबित पत्र ने इसको लेकर एक ट्वीट किया था.
उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर खड़ी रही 500 बसें-
कांग्रेस पार्टी द्वारा भेजी गयी करीब 500 बसें राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर कड़ी रही. लेकिन प्रशासन ने उन्हें यूपी में घुसने की इजाज़त नहीं दी. जिसके बाद ये सारी बसें वापिस बेरंग लौट गयी. राजस्थान सरकार के इस बस राजनीती के मुद्दे पर बयानबाज़ी के बाद यूपी सरकार ने एक बिल को सार्जनिक कर दिया. दरअसल, इस बिल के मुताबिक राजस्थान सरकार ने यूपी सरकार से करीब 36 लाख रुपये लिए हैं कोटा से यूपी के छात्रों को घर भेजने क लिए. उत्तर प्रदेश के मुताबिक उन्होने पूरा भुगतान कर दिया है. जबकि राजस्थान सरकार के मुताबिक कोटा आईं बसों को यूपी सरकार ने डीजल देने के लिए कहा था, इसके साथ ही कुछ बसों की सेवा ली गई थी. इन दोनों का बिल कुल 36 लाख हुआ था. जिसमें से केवल 19 लाख रुपये ही यूपी सरकार ने अभी तक चुकाए हैं.