नई दिल्ली: ट्रैक्टर रैली, टिकरी बार्डर पर पिछले कई दिनों से एक मोडिफाई ट्रैक्टर चर्चा का विषय बना हुआ है। किसानों के मंच के ठीक पीछे खड़े बाहुबली ट्रैक्टर पर जिसकी भी नजर जाती है, लोग उस ट्रैक्टर को निहारते रह जाते। युवा उसके साथ जमकर सेल्फी लेते है।
ट्रैक्टर रैली
पलिया लखीमपुर के रहने वाले इकबाल सिंह पाला ने बताया कि उन्होंने परेड में शामिल होने के लिए ट्रैक्टर मोडिफाइ कराया है। उन्होनें ये भी बताया कि इस ट्रैक्टर को मोडिफाई करने में तकरीबन 35 लाख रुपये की लागत आई है। इतना महंगा ट्रैक्टर देख प्रदर्शन में शामिल किसानों की आंखे फटी की फटी रह जाती हैं। यह ट्रैक्टर सुनील गुलिया का है।
महिंद्रा के इस ट्रैक्टर में आगे और पीछे दोनों तरफ बड़े-बड़े दो पहिए लगे हुए हैं। ऐसा लगता है मानो यह ट्रैक्टर नहीं बल्कि रोड रोलर हो। ट्रैक्टर के पीछे लगी ट्राली में भी बैठने के लिए सोफे बनाए गए हैं। लोग आंदोलन को भूल ट्रैक्टर ही निहारने में लगे रहते हैं।
ट्रैक्टरों पर तिरंगा लगा पहुंच रहे हैं किसान
एक ओर किसान कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर इन ट्रैक्टरों से यह कहीं नहीं लगता है कि ये किसान किसी भी तरह से कमजोर हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल आंदोलनकारी किसानों के बीच भी उठ रहा है कि क्या गरीब किसान इन बड़े किसानों के हाथों की कठपुतली तो नहीं बन रहे हैं।
वहीं कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर आंदोलन कर रहे किसान रविवार को ट्रैक्टर परेड की तैयारी में जुटे रहे। रात तक किसानों का जत्था यहां पहुंचता रहा। ट्रैक्टरों पर तिरंगा और बुल गार्ड लगा है। किसानों की संख्या करीब 15 हजार पहुंच गई है। कई किसान बस व अन्य वाहनों से भी यहां आए हैं।
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