चार्ली चैपलिन : हंसी का बादशाह
चार्ली चैपलिन का पूरा नाम सर चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन था , लेकिन लोग उन्हें ‘चार्ली चैपलिन’ के नाम से ज्यादा जानते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में यह एक ऐसा नाम है, कि जिसे रहती दुनिया तक ‘हंसाने’ के लिया याद रखा जायेगा। एक ऐसा चेहरा जिसे पर्दे पर देखने भर से किसी के भी चेहरे पर अनायास हीं मुस्कुराहट आ जाए । आज भी हर कॉमेडियन चार्ली चैपलिन को अपना गुरु मानते है। वहीं जनता के दिल में वो आज भी जिन्दा है। कोरोना दहशत के बीच चार्ली के 131 वे जन्मदिन पर जानते हैं उनके जीवन दर्शन को
हिटलर की भूमिका
16 अप्रैल, 1889 को लंदन में जन्मे कॉमेडियन ने इंडस्ट्री में कॉमेडी को एक आयाम दिया। चार्ली चैपलिन ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों को हसाने में गुज़ार दी। मूक फिल्म के बेताज बादशाह थे चैपलिन। दुनियाभर में अपने कॉमेडी के लिए मशहूर इस कलाकार ने जिंदगी की त्रासदियों से भी हंसाने की कला को रुपहले पर्दे पर बखूबी उतारा।
ऑस्कर सम्मान : 1973
1940 में चार्ली ने हिटलर पर फिल्म द ग्रेट डिक्टेटर बनाई थी जिसमे स्वयं उन्होंने स्वयं हिटलर का किरदार निभाया था। इस फिल्म के जरिए उन्होंने हिटलर को कॉमिक रूप में पेशकर वाहवाही बटोरी थी। यह फिल्म उनके जीवन की बेस्ट फिल्म में एक थी। हालाँकि इसके बाद इस फिल्म से कुछ कंट्रोवर्सी भी जुड़ गए थे। फिल्म में हिटलर का मजाक बनाए जाने पर कुछ लोगों ने उनकी जैम कर तारीफ की थी, वहीँ कुछ लोगों ने उनका भरपूर विरोध किया।
अपने जीवंत अभिनय द्वारा लोगों को हसाने और अपनी अदाकारी के लिए उन्हें अभिनय जगत का सर्वोच्च सम्मान दिया गया। 1973 में चार्ली चैपलिन को ऑस्कर अवार्ड से नवाजा गया। इसके अलाव भी कई सम्मान उनके नाम हैं।
मित्यु
88 साल की उम्र में 25 दिसंबर 1977 को चार्ली चैपलिन दुनिया को अलविदा कह गए। अभिनय जगत का सबसे तेज़ रोशनी वाला चिराग हमेशा के लिए बुझ गया। मगर आज भी उनकी बातें और जीवन को जीने की कला हमें मुसीबत में भी मुस्कुराने की वजह देती है। चार्ली चैपलिन ने लोगों में सकारात्मक ऊर्चा का संचार किया। लोगों को तकलीफ और परेशानी में भी हँसते हुए सामना करने का तरीका सिखाया। आज जब सारी दुनिया कोरोना के खौफ में है तब उनका जीवन दर्शन को और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
रंगकर्मी साहवेष बताते हैं कि ,चार्ली के अभिनय को देखें तो सबसे बड़ी सीख मिलती है की वे हर हाल में सकारात्मक रुख रखते थे। परिस्थितियां बनती और बिगड़ती रहती है लेकिन , हमें मुस्कराहट के साथ उससे लड़ना चहिये। परिस्थितियों से लड़ने के लिए सकात्मक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। संसाधनों को देखते हुए उसमे गुज़रा हीं जिंदगी है। चार्ली का वास्तविक जीवन भी ऐसा ही था।
इंसान नहीं दर्शन “चार्ली”
विनय उपाध्याय का कहना है की चार्ली ने कहा था कि “मेरा दर्द किसी के हंसने का कारण हो सकता है, लेकिन मेरी हंसी किसी के दर्द का सबब नहीं बननी चाहिए।” विनय कहते हैं कि आज कोरोना जैसी बीमारी के दौर में जीवन का यह बड़ा सूत्र है। मुसीबत में भी मुस्कुराना ही चार्ली है। चार्ली किसी इंसान का नाम नहीं बल्कि एक दर्शन है। जब भी जीवन में दुःख और नकारात्मकता का घेरा हो तब चार्ली दर्शन को याद करना चाहिए। ये दर्शन हमें ग़म में भी मुस्कुराना और उनसे लड़ने की हिम्मत देता है।
अभिनय पूर्ण विश्राम की स्थिति
चार्ली का निजी जीवन आसान नहीं था। वो अपने निजी जीवन में दुखी थे , लें उन्होंने कभी भी इसका असर अपने दर्शक या अभिनय पर नहीं पड़ने दिया।उन्होंने निजी जीवन की परेशानियों को अभिनय में ताकत के रूप में इस्तेमाल किया। यह सिखाता है कि चाहे जो मजबूरी हो, हमारे काम पर असर नहीं पड़ना चाहिए। चार्ली के लिए अभिनय पूर्ण विश्राम की स्थिति थी।
हर इंसान को चार्ली चैपलिन की आत्मकथा पढ़नी चाहिए। खासकर तब जब लोग क्वोरॉन्टिन हैं और दहशत में हैं।
चार्ली के जीवन दर्शन :
– पास से देखने पर जिंदगी ट्रेजडी लगती है और दूर से देखने पर कॉमेडी।
– मेरी जिंदगी में बेशुमार दिक्कतें हैं, मगर मेरे होंठ यह बात नहीं जानते। उन्हें तो केवल मुस्कुराना आता है।
– आप जिस दिन हंसते नहीं हैं, वह दिन बेकार हो जाता है।
– मैं सिर्फ मसखरा बनकर जीना चाहता हूं।
– हम लोग सोचते बहुत हैं, मगर महसूस बहुत कम करते हैं।
– आईना मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, क्योंकि जब मैं रोता हूं तो वह कभी नहीं हंसता।
– इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है, यहां तक कि मुश्किलें और मुसीबतें भी नहीं।
– इंसान का असली चरित्र तभी सामने आता है, जब वह नशे में होता है।
– मुझे बारिश में चलना पसंद है, क्योंकि उसमें कोई भी मेरे आंसू नहीं देख सकता।