नई दिल्ली- दिवाली का त्यौहार पांच दिन तक मनाया जाता है। दिवाली से पहले धनतेरस और छोटी दिवाली मनाई जाती है तो वहीं, दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और आखिरी दिन भाईदूज मनाया जाता है। दिवाली के ठीक अगले दिन यानी आज गोवर्धन और अन्नकूट पूजा की जाएगी। इस दिन शाम के समय खास पूजा का आयोजन किया जाता है। कई लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। अन्नकूट शब्द का अर्थ होता है अन्न का समूह। विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा है।
इस दिन अनेक प्रकार के पकवान, मिठाई से भगवान को भोग लगाया जाता है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है। इसमें घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की मूर्ति बनाकर उनका पूजा करते हैं। उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
इस दिन मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है। गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी। माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था। तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है।
इस दिन खासतौर पर अन्नकूट बनाकर गोवर्धन पर्वत और भगवान ठाकुर जी की पूजा की जाती है। इस दिन धन दौलत, गाड़ी, अच्छे मकान के लिए ठाकुर जी और मां लक्ष्मी को खुश किया जाता है, ताकि नौकरी या व्यापार में खूब तरक्की मिल सके और सुख शांति बनी रहे। इस दिन कई तरह के अच्छे अच्छे पकवान, मिठाई से भगवान को भोग लगया जाता हैं।