नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए देश का पहला भारत खिलौना मेला 2021 का उद्घाटन किया है। उन्होंने कहा कि परिवारों में प्ले टाइम की जगह स्क्रीन टाइम ने ले ली है। खिलौनों का वैज्ञानिक पहलू को समझना होगा।
स्कूल में इस पर प्रयोग करना होगा। हमारी नई शिक्षा नीति में प्ले आधारित शिक्षा को शामिल करना चाहिए। इसमें बच्चों में पहेलियों और खेलों के माध्यम से खेल की सोच को कैसे बढ़ाने चाहिए इस पर जोर देना चाहिए। सभी माता-पिता को आपने बच्चों की पढ़ाई में हिस्सा लेना चाहिए ।वैसे ही हमें खिलोनों और खेलों को शामिल करना चाहिए।
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नई शिक्षा नीति
हमें अपने बच्चों को मौड़र्न समय के खिलौने देने चाहिए। तो वह डॉक्टर और विज्ञानी बन कर देश की सेवा कर लोगों को खुशहाली का जीवन दे सके। बच्चे रॉकेट जैसे खिलौने से स्पेस मिशन की सोच को विकसीत कर सके।उन्हें ऐसे खिलौना देने चाहिए, जो उनकी क्रिएटिविटी को ओर अधिक जगा सके।
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भारत का हिस्सा
देश की टॉय इंडस्ट्री से हम अपनी ताकत और आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा सपना पुरा कर सके है। देश का पहले टॉय फेयर का हिस्सा बना एक गौरव की बात हैं। इस का मकसद केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है। यह देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की कड़ी में एक बड़ा कदम है। इसकी प्रदर्शनी में कारीगरों और स्कूलों से लेकर कंपनियों तक 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से ज्यादा एक्जीबिटर्स हिस्सा ले रहे हैं।
भारत के खिलौने
भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के ईको सिस्टम के बारे में जानने का मौका मिलता है । खिलौनों और भारत का रचनात्मक संबंध बहुत पुराना है। पुराने समय में यात्री भारत आते थे, तो खिलौने लेकर जाते थे। हमारे धर्मग्रंथो में बाल राम के लिए कितने ही खिलौनों का वर्णन मिलता है। गोकुल में कृष्ण कंदुक से खेलने जाते थे। भारत के पास दुनिया को देने के लिए यूनीक पर्सपेक्टिव भी है। हमारी परंपराओं और खानपान में विविधाताएं ताकत के रूप में नजर आती हैं। इसी तरह खिलौना कारोबार भी भारत के विचारों को प्रोत्साहित कर सकती है। हमारे यहां खिलौने पीढ़ियों की विरासत के तौर पर सहेजे जाते है। त्योहारों पर लोग अपने संग्रह दिखाते थे। हमारे खिलौने इससे सजे होंगे, तो भारतीयता की भावना बच्चों के अंदर विकसित होगी।
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टॉय टूरिज्म
पहले खिलौनों के बारे में सरकारें बात भी नहीं करती थी।अब इस उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में शामिल किया है। नेशनल टॉय एक्शन प्लान तैयार किया गया है। इसमें 15 विभागों को शामिल किया है। देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बने। भारत के खिलौने दुनिया में जाएं। इनमें राज्यों को भागीदार बनाकर टॉय क्लस्टर विकसित किया जा रहा है। टॉय टूरिज्म की संभावना को मजबूत कर रहा है।
भारतीय बाजार में 90% चीनी खिलौने
चीन के सस्ते खिलोनों के कारण भारत के गुणवत्ता वाले खिलौनों के बाजार पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। दुनिया के खिलौना बाजार में भारत की हिस्सेदारी 1% से कम है। वहीं, चीन ने 65-70% पर कब्जा किया है। देश के खिलौना बाजार में चीन की हिस्सेदारी 90% से ज्यादा है। दुनिया में खिलौना बाजार 6.64 लाख करोड़ रुपए का है।