नई दिल्लीः एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना संक्रमित 90 फीसद लोगों को ब्लैक फंगस होने की आशंका नहीं है.संजय गांधी पीजीआइ के एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर एवं आइसीयू एक्सपर्ट प्रो. संदीप साहू के मुताबिक ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) को लेकर लोगों में काफी दहशत है। ऐसा कोई मामला नहीं है जो होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण के हल्के मामले रहे हों
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ब्लैक फंगस मामले
प्रो. संदीप बताते है कि जो लोग आक्सीजन और लो डोज स्टेरायड पर रहे हों उनमें भी इस तरह के मामले नहीं हुए। पूरे भारत में कुल एक हजार मामले ब्लैक फंगस के सामने आए। देखा जाए भर्ती होने वाले लाखों मरीजों में यह प्रतिशत 0.001 भी नहीं होगा। ब्लैक फंगस के केवल वही शिकार हुए जो गंभीर कोरोना संक्रमित थे। एक्यूट रेस्पिरेटरी ङ्क्षसड्रोम के कारण आइसीयू में भर्ती कर हाई डोज स्टेरायड दिया गया, शुगर नियंत्रित नहीं रहा।
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इम्यून सिस्टम कमजोर
साथ ही वो कोरोना संक्रमित जिसमें वेंटिलेटर या एनवाई, बाईपैप थेरेपी की जरूरत पड़ी। इसके साथ ऐसे मरीज पहले से इम्यूसप्रेसिव दवा पर चल रहे थे, किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर, आटो इम्यून डिजीज से ग्रस्त थे। इन लोगों में पहले से ही इम्यूनो सप्रेसिव दवाएं चलती हैं, जिससे उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। आइसीयू में भर्ती के दौरान हाई डोज स्टेरायड देने से उनका इम्यून सिस्टम और कमजोर हो जाता है।