जनतंत्र डेस्क Automobile: भारत में बनने वाली मारुति की कार बलेनो सेफ्टी चेक में बुरी तरह फेल हो गई। 2 एयरबैग वाली बलेनो NCAP क्रैश टेस्ट में कार को शून्य रेटिंग मिली है। इससे पहले मारूति की स्विफ्ट को भी जीरो रेटिंग मिली है। यानि दो महीनों के अंदर मारुति सुजुकी की दो कारें सेफ्टी पैरामीटर पर खरी नहीं उतरी।
Automobile: इन पैरानीटर पर फेल बलेनो कार
लैटिन NCAP रेटिंग में, बलेनो ने एडल्ट ऑक्यूपेंट सेफ्टी में 20.03% रेटिंग हासिल की है।
चाइल्ड ऑक्यूपेंट सेफ्टी में 17.06% रेटिंग
पैदल यात्रियों की सेफ्टी में 64.06% रेटिंग
सेफ्टी असिस्ट बॉक्स में 6.98% रेटिंग
बलेनो फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में स्टेबल रही, लेकिन साइड इम्पैक्ट टेस्ट के दौरान अडल्ट के चेस्ट की सेफ्टी में फिसड्डी निकली। वहीं, कार में सिर की सेफ्टी के लिए एयरबैग नहीं मिलता है।
क्यों मिली जीरो रेटिंग
NCAP ने कार की जीरो रेटिंग होने की वजह साइड में खराब सेफ्टी, मार्जिनल व्हिपलैश प्रोटेक्शन, स्टैंडर्ड साइड बॉडी ,सिर की सेफ्टी के लिए एयरबैग की कमी, स्टैंडर्ड इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ESC) की कमी और चाइल्ड रेस्ट्रेंट सिस्टम (CRS) का ना होना बताया है।
9 वैरिएंट में मिलती है बलेनो
मारुति सुजुकी की कारों का बाजार हमेशा ही बना रहता है। भले ही बलेनो सेफ्टी के मानकों को पूरा नहीं कर पाई। लेकिन पिछले तीन महीनों की बात करें तो जुलाई में बलेनो बिक्री के मामले में टॉप 3 पर रही। टॉप 2 में मारुति की ही वैगनआर और स्विफ्ट रही। मारुति बलेनो देश में 9 वैरिएंट में मिलती है।
क्या है रेटिंग देने वाला ग्लोबल NCAP
ग्लोबल NCAP, यानी ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम। एक ऐसा ऑर्गनाइजेशन जो स्वतंत्र रूप से नई कारों की टेस्टिंग कर उन्हें रेटिंग देता है। टेस्ट की गई कारों को 0 से 5 स्टार की रेटिंग दी जाती है। कार कंपनियों के लिए ग्लोबल NCAP रेटिंग काफी महत्व रखता है, क्योंकि रेटिंग मिलने से कारों की मार्केटिंग पर असर होता है। ज्यादा स्टार मतलब बेहतर सेफ्टी। हर किसी की प्राथमिकता होती है सेफ्टी इसलिए कार का मार्केट अच्छी रेटिंग पर निर्भर करता है।