नई दिल्ली: Barsana Holi 2021-ब्रज की होली पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. हर साल यहां होली केवल रंग लगाकर ही नहीं बल्कि और कई प्रकार से इस उत्सव को हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है। ब्रज में होली नए फसल के आने की खुशी में भी मनाई जाती है। ब्रज क्षेत्र में होली का अपना एक अलग ही विशेष महत्व है। आपको ये जानकार हैरानी होगी की होली का त्योहार ब्रज में एक-दो दिन नहीं बल्कि हफ्ते भर तक मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं ब्रज क्षेत्र में मनाई जाने वाली प्रमुख प्रकार की होलियों के बारे में।
रंगों की होली
ब्रज में होली त्यौहार की बात ही कुछ अनूठी है। होली का त्योहार यहां एक महीने पहले से ही शुरू हो जाता है, जो की होली के बाद भी हफ्ते भर तक चलता है। हर साल ब्रज में ब्रजवासियों को भक्ति के रंग में रंगने वाली होली को रंगों की होली कहते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे के रंग लगाकर गिले-शिकवे दूर करते हैं। ब्रज की होली में सिर्फ कान्हा ही नहीं बल्कि कान्हा नगरी का कोना-कोना रंगों से सराबोर हो उठता है। ढोलक की थाप और मजीरों की झनकारों के बीच, ब्रज में होली के गीत भी फिजाओ में गूंजते है। जिसके आनंद का कोई वर्णन ही नहीं है।
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लट्ठमार होली
कृष्ण की नगरी नंदगांव, बरसाना, मथुरा और वृंदावन में रंगों की होली के साथ-साथ लट्ठमार होली भी खेली जाती है। इस लट्ठमार होली को देखने के लिए विदेशों से लोग ब्रज में आते हैं और इस सुंदर नजारे को लुत्फ़ उठाते हैं। बरसाने की लट्ठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंदगांव के ग्वाल बाल होली खेलने के लिए राधा रानी के गांव बरसाने जाते हैं। और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं। इन पुरूषों को हुरियारे कहते हैं। इस होली की खासियत ये है कि इसमें औरतें मर्दों को लट्ठ मारती हैं, और वो भी पूरे जोश में। तो वहीँ मर्द बचने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं, और भागते फिरते हैं।
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लड्डुओं की होली
आधुनिकता से अलग एक समाज , जहाँ गायन, होली के रसियाओं पर थिरकते सिर पर पगड़ी बांधे ग्वाल-बाल, बगलबंदी पहनी गोपियों की हंसी-ठिठोली, लजाते हुए उनका लाठियां बरसाना ये सब देखकर ऐसा लगता है कि यह द्वापर युग ही है। आपको बता दें की ब्रज में लड्डुओं की भी होली खेली जाती है।शायद आपको जानकर हैरानी हो, पर ये परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है. कहा जाता है कि द्वापर में बरसाने से होली खेलने का आमंत्रण लेकर सखी नंदगांव गई थीं.
फूलों की होली
होली का त्योहार पूरे देश में 29 मार्च को मनाया जाएगा लेकिन इसकी शुरुआत मथुरा के रमणरेती से होगी। रमण रेती में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी अपने भक्तों संग होली खेलते हैं। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने होली मानाने की शुरूआत इसी स्थान से की थी । इसलिए ब्रज में सबसे पहली होली का शुभारम्भ रमणरेती में होता है। यहां पर श्रीकृष्ण राधा के साथ फूलों की होली खेलते हैं।
दुलहंडी होली
हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मनाई जाने वाली होली भी बरसाने की लट्ठमार होली जैसी ही होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां देवर, भाभी को रंगने की कोशिश करता है। और बदले में भाभी देवर को दुपट्टे से बनाए गए कोड़े से पीटती हैं। इसी इस होली को ‘दुल्हंदी’ भी कहते हैं।
कीचड़ की होली
होली रंगों का त्योहार है यह तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि कई जगहों पर गोबर और कीचड़ की भी होली खेली जाती है। सात दिन चलने वाले इस त्योहार के अंतिम दिन कीचड़ की होली खेलने के बाद इस पर्व का अंत होता है।
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