जनतंत्र डेस्क Bhutan-China sign MoU: भारत-चीन के बीच तनाव की खबरें आती रहती हैं। चीन कभी अरुणाचल के रास्ते तो कभी उत्तराखंड घुसपैठ की कोशिश करता रहता है। हालांकि भारत चीन की हर हरकत का मुहंतोड़ जवाब देता है। भारत के साथ चीन के बढ़ते झगड़े के बीच भूटान-चीन के बीच बड़े समझौते पर साइन हुआ है। माना जा रहा है इस समझौते के बाद भूटान-चीन और करीब आ जाएंगे। दरअसल, गुरुवार 14 अक्टूबर को चीन और भूटान के विदेश मंत्रियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक बैठक की। जिसमें दोनों देशो के बीच कई वर्षों से चल रहे सीमा विवादों को सुलझाने के लिए एक थ्री-स्टेप रोडमैप के समझौते पर हस्ताक्षर हुए। अब इस समझौते के तहत चीन और भूटान दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर गतिरोध पर चर्चा करेंगे।
इस मामले पर भूटान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि थ्री-स्टेप रोडमैप पर समझौता ज्ञापन सीमा वार्ता को एक नई दिशा देगा। दरअसल, भूटान चीन के साथ 400 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा साझा करता है। दोनों देशों ने विवाद को सुलझाने के लिए साल 1984 से ही वार्ताओं का दौर जारी है। इस मसले को लेकर दोनों देशों की बीच अब तक 24 दौर की सीमा वार्ता हो चुकी है। वहीं, इस समझौते के बाद चीन की प्रतिक्रिया में कहा गया है कि, चीन और भूटान मैत्रीपूर्ण संबंधों वाले पड़ोसी हैं जोकि पहाड़ों और नदियों के जरिए आपस में जुड़े हुए हैं। दोनों देशों के बीच प्राचीन समय से मित्रता है। वहीं, चीन द्वारा जारी बयान में भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी के हवाले से कहा गया है कि समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का ऐतिहासिक महत्व है। भूटान ने भी इस समझौते को ऐतिहासिक बताया।
भारत की प्रतिक्रिया
भूटान-चीन के बीच समझौते पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, भूटान और चीन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिसको हमने नोट किया है। उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि भूटान और चीन 1984 से सीमा वार्ता कर रहे हैं। भारत भी इसी तरह चीन के साथ सीमा वार्ता कर रहा है।
भूटान के जरिए भारत पर नजर!
भारत की प्रतिक्रिया जो भी हो, कहीं न कहीं भूटान-चीन के बीच सीमा को लेकर हुए समझौते का असर उस पर भी पड़ सकता है। जिन दो इलाको को लेकर चीन और भूटान के बीच ज्यादा विवाद है, उनमें से एक भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन के पास 269 वर्ग किलोमीटर और दूसरा भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर का जकारलुंग और पासमलुंग घाटियों का इलाका है। चीन की हमेशा ये ही रणनीति रही है कि वह कमजोर देशों को अपने पाले में करके उनसे अपने दुश्मन देशों को निशाना बनाता है। इसके लिए वह कमजोर देशों को प्रलोभन देता है। चीन भूटान को 495 वर्ग किलोमीटर वाला इलाका देकर उसके बदले में 269 वर्ग किलोमीटर का इलाका लेना चाहता है।