EU के सांसदों ने सीएए के खिलाफ भारत सरकार को दी नसीहत
नई दिल्ली : यूरोपीय संघ के 150 से ज्यादा सांसदों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तैयार प्रस्ताव किया है, इसमें कहा गया कि इससे भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव हो सकता है, इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग स्टेटलैस यानि बिना नागरिकता के हो जाएंगे। उनका कोई देश नहीं रह जाएगा, प्रस्ताव में भारत सरकार से अपील की गई है कि वो सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ बात चीत’ करें और ‘भेदभावपूर्ण सीएए’ को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करें।
भारत का (EU) को जवाब हमारा आंतरिक मामला
बता दें वहीं इस प्रस्ताव पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है, भारत ने यूरोपीय संघ (EU) से कहा है कि हमारा आंतरिक मामला है, इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा ही अपनाया गया है, हम उम्मीद करते हैं कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले सही मूल्यांकन करेंगे और हमारे संपर्क में रहेंगे, भारत सरकार का कहना है कि नया कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है, बल्कि इसे पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और उन्हें नागरिकता देने के लिए लाया गया है।
- यूरोपियन संसद में 626 सांसद लाए हैं CAA के खिलाफ में प्रस्ताव
- बुधवार को इस संबंध में बहस होगी और अगले दिन वोटिंग होनी है
- भारत सरकार का कहना है कि CAA किसी की नागरिकता नहीं छीनता
- रोपीय संघ के सांसदों ने सीएए के खिलाफ 5 पन्नों का प्रस्ताव तैयार किया, धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया
- सांसदों ने कहा कि नया कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन करता है