नई दिल्ली : देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.739 अरब डॉलर से बढ़कर 582.037 अरब डॉलर हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने यह जानकारी दी गई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में वृद्धि होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज हुई है। विदेशी मुद्रा, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती है।
आंकड़ों के अनुसार पिछले सप्ताह की गिरावट के बाद देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य 33.6 करोड़ डॉलर से बढ़ कर 34.551 अरब डॉलर हो गया था। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष में मिला विशेष आहरण अधिकार 40 लाख डॉलर घटकर 1.501 अरब डॉलर रह गया था। आईएमएफ के पास आरक्षित मुद्रा भंडार भी 20 लाख से घटकर 4.963 अरब डॉलर हो गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार अर्थव्यवस्था के लिए होते है काफी महत्वपूर्ण
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों में धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती है। उनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। वहीं यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। उसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते है। उनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखता है।
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विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे
देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। उससे पहले सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। वही मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी उससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है। साथ ही उसका सबसे बड़ा फायदा है।अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों लोगों की अर्जित करता है। उससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित होते है।
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