नई दिल्लीः Health -कोरोना से बचाव के लिए मास्क बेहद अहम है लेकिन मास्क पहनने में लापरवाही से ब्लैक फंगस का खतरा भी खड़ा हो सकता है। माइक्रोबायोलोजिस्टों की रिपोर्ट बताती है कि बोलने के दौरान मुंह से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदें मास्क में नमी बढ़ाती हैं। दूसरी ओर सांस लेने से इसमें फंगस पनपने लायक तापमान बन जाता है।लंबे समय तक एक ही मास्क पहनने वाले मरीजों मे ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है।
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Health :ब्लैक फंगस का खतरा
बता दें की माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. स्वाति तिवारी बताती हैं कि ब्लैक फंगस 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और नम मौसम में पनपता है, मास्क में ये दोनों फैक्टर मिलते हैं। ज्यादातर मरीज एक मास्क का तीन से चार दिन तक प्रयोग करते हैं। पानी पीने एवं दवा खाने के दौरान कई बार मास्क में पानी पहुंच जाता है, जिसके बाद मुंह से निकलती भाप से गर्मी पैदा होती है, जो फंगस बना सकती है।
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ऐसे करें बचाव
- मास्क को एंटी सेप्टिक विलयन से धोएं।
- मास्क को धूप में रखने पर रेडिएशन से वायरस और फंगस नष्ट हो जाते हैं।
- कपड़े का मास्क पहनने से बचें। इसमें नमी व धूल देर तक रुकती है।
- मास्क पर हाथ न लगाएं। पीनी पीएं तो मास्क पर न गिरे।
- खांसने वाले मरीजों को मास्क छह घंटे में जरूर हटा देना चाहिए। मास्क को नीचे की तरफ से खोलें।
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लगातार न लगाए एक मास्क
डॉक्टर्स का कहना है की कई मरीज तीन-चार दिनों तक मास्क नहीं बदलते। एन-95 मास्क को भी छह से आठ घंटे में बदल देना चाहिए। माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अश्विनी शर्मा बताते हैं कि सॢजकल मास्क और कपड़े का मास्क ज्यादा देर तक नमी और धूल रोकता है। धूल कणों से भी फंगस संक्रमित होने का खतरा है।