Ozone layer : भर गया आर्कटिक के ऊपर ओजोन परत का ख़तरनाक होल
कोरोना ने पूरी दुनिया को दहशत में डाल रखा है। विश्व के लगभग 200 देश कोरोना क़हर को झेल रहे हैं। लाखों की संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है। हालाँकि , इन सबके बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। ओज़ोन परत का होल दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन गई थी।
ओज़ोन से निकलने वाली खतरनाक uv rays सीधे धरती तक आ रही थी। यह किरणें त्वचा कैंसर का प्रमुख कारण हैं। वैज्ञानिकों ने पुष्टि किया है कि आर्कटिक के ऊपर बना दस लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि वाला छिद्र बंद हो गया है। ओजोन की यह परत सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है। ओज़ोन लेयर की छेद गंभीर चिंता का विषय थी।
पृथ्वी के बाहरी वातावरण की सुरक्षा और सूरज से आने वाली खतरनाक किरण को रोकने के लिए जिम्मेदार ओजोन परत पर बना सबसे बड़ा छेद ठीक हो गया है। लॉकडाउन में , असामान्य वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण आर्कटिक के ऊपर ओजोन परत में सबसे बड़ा छेद बंद हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष मार्च में वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार छेद की पहचान की गई थी। जबकि वैज्ञानिको ने अनुसार यह छेद अब बंद हो गया है।
यूरोपीय आयोग के अनुसार, आर्कटिक के ऊपर बना दस लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि वाला छेद बंद हो गया है। यूरोपीय आयोग की ओर से लागू किए गए कॉपरनिकस एटमॉसफेयर मॉनिटरिंग सर्विस (सीएएमएस) और कॉपरनिकस चेंज सर्विस (सी3एस) ने अब पुष्टि की है कि उत्तरी ध्रुव पर बना यह छेद अपने आप ठीक हो गया है।
मुख्य बातें :
. लॉकडाउन में प्रदुषण कम होने के कारन ओज़ोन परत का छिद्र बंद होने की पुष्टि नहीं
. ध्रुवीय भंवर, उच्च ऊंचाई वाली धाराएं जो ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी हवा लाती है उसी कारण से ये परत ठीक हुई है.
. यह छिद्र उत्तरी ध्रुव पर कम तापमान के परिणामस्वरूप बना था।
. ओजोन की यह परत सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है।
. यह किरणें त्वचा कैंसर का प्रमुख कारण हैं
. वैज्ञानिकों ने 1970 के दशक में पाया कि ओजोन परत मानव निर्मित गतिविधियों के कारण समाप्त हो रही है, जिससे पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा पैदा हो गया है
. वैज्ञानिकों ने मार्च में उत्तरी ध्रुव के ऊपर ओजोन परत में एक छेद बनाने के संकेत देखे थे और सोचा था कि यह कम तापमान का परिणाम है।
. यह ओजोन परत का सबसे बड़ा छेद माना जाता है, और इससे दक्षिण की ओर एक बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार , ओजोन परत में 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर चौड़ा छेद ठीक हो गया है। वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोनो वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण के कम स्तर के कारण छेद का बंद होना नहीं है।बल्कि , ध्रुवीय भंवर, उच्च ऊंचाई वाली धाराएं जो ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी हवा लाती है उसी कारण से ये परत ठीक हुई है.
छिद्र सही होने का कारन
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस छेद के बंद होने की वजह समतापमंडल का गरम होना है. अप्रैल महीने से उत्तरी ध्रुव का तापमान बढ़ना शुरू हो जाता है. इस कारण आर्कटिक के ऊपर की समतापमंडल परत भी गर्म होने लगी और ओजोन परत में ओजोन की मात्रा बढ़ने लगी यानी वह छेद बंद हो गया.
ओजोन परत है क्या ?
पृथ्वी के वायुमंडल में क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच 15 से 30 किलोमीटर में ओजोन की बहुतायात होती है जिसे ओजोन परत कहते हैं। यह सूर्य से आने वाली खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट ( uv rays ) किरणों को पृथ्वी तक आने से रोक देती है। ओजोन परत में छेद का मतलब उस क्षेत्र में ओजोन की मात्रा बहुत ही कम हो जाना होता है.