जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: आज हम आपको यह बताएंगे कि किन्नर कैसे पैदा होते हैं ?
कैसे पैदा होते हैं ? किन्नर
दरअसल जब किसी महिला के पेट में बच्चा आ जाता है तो बच्चा आने के 3 महीने के बाद धीरे-धीरे उसका विकास होना चालू हो जाता है। अगर इसी दरमियान प्रेग्नेंट महिला को कोई बीमारी हो जाती है या फिर उसे अन्य कोई ऐसी समस्या हो जाती, जिससे उसकी बच्चेदानी में हारमोंस की प्रॉब्लम उत्पन्न होती है, तो इसके कारण बच्चे के लिंग पर इफेक्ट पड़ता है और इसी के कारण कभी-कभी पैदा हुए बच्चे में महिला और पुरुष दोनों के लक्षण आ जाते हैं। इस प्रकार से किन्नर पैदा होते हैं। कई बार तो किन्नर दवा के साइड इफेक्ट के कारण भी पैदा हो जाते हैं।
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XY क्रोमोसोम से पैदा होते हैं, किन्नर
जानकारी के लिए बता दें कि टोटल 46 क्रोमोसोम नंबर मानव जाति का है। इन 46 में से 2 सेक्स वाले क्रोमोजोम होते हैं और बाकी ऑटोड्रोम वाले होते हैं। यही जो सेक्स वाले क्रोमोजोम होते हैं। यही इस बात का निर्धारण करते हैं कि लड़का पैदा होगा या फिर लड़की अथवा किन्नर। अगर XY क्रोमोसोम होता है तो उसे पुरुष कहा जाता है और अगर XX होता है तो उसे महिला कहा जाता है।
इसके अलावा XXX,YY,OX क्रोमोसोम जिस मनुष्य के अंदर होता है उसे हिजड़ा या फिर किन्नर कहा जाता है। जब महिला के पेट में बच्चा होता है तो कभी-कभी कुछ ऐसी वजह बन जाती है, जिसके कारण क्रोमोसोम के नंबर में काफी बदलाव हो जाते हैं और यही वजह है कि जो संतान पैदा होती है, वह किन्नर होती है।
किन्नर के लिंग कैसे होते हैं?
जानकारी के अनुसार जो किन्नर होते हैं, उनके प्राइवेट पार्ट का ढंग से विकास नहीं हुआ होता है अर्थात् किसी किन्नर के पास अंडकोष होता है, परंतु उसका लिंग सही से नहीं होता है। वहीं कई किन्नर ऐसे हैं जिनके पास योनि तो होती है परंतु वह किसी काम की नहीं होती है, उनकी योनि में सिर्फ एक छेद होता है जहां से वह पेशाब कर सकती हैं। कई किन्नरों के स्तन काफी छोटे होते हैं वहीं कई किन्नरों के लिंग काफी बड़े होते हैं।